नेताजी
चुनावों का शंखनाद हो चुका
नेताजी की नींद अब टूट चुकी।
तैयार हैं सब अब
अपने अपने हथियारों से
कोई वादों से बहका रहा,
कोई भावनाओं को भड़का रहा।
जिसे देखो वही बड़ी-बड़ी बातें करता हैं
पर अपने ऐशो-आराम का पूरा ख्याल भी रखता हैं।
धूल से पैर ना सन जाए
इसलिए मँहगी गाड़ियों और हैलिकाप्टरों से दौरा करता हैं।
बातें गरीबों की खूब करता हैं
फिर ना जाने क्यों ?
करोड़ो रुपये अपने पास भी रखता हैं।
सत्ता के लालच में
दुश्मन को दोस्त
दोस्त को दुश्मन बनाया करता हैं।
मिल जाए जब सत्ता
होकर आम जनता से दूर
आलीशान कोठियों और दफ़्तरों में
सत्ता का रस पीया करता हैं।
आओ फिर भी वोट करें
अपने नेता के काम को
लौकतंत्र की तराजू में तौल चलें।
जिस जिस नेता ने दिखाई हो होशियारी
उनकी तो आँखे खोल ही चलें।
17 comments:
जिस जिस नेता ने दिखाई हो होशियारी
उनकी तो आँखे खोल ही चलें।
बिल्कुल जी यही करेंगे.
रामराम.
कविता में सत्ता लोभी नेताओं के रूप का बहुत सही वर्णन किया है.
हालाँकि हर बार के चुनावों में यही होता आया है फिर भी जनता को अपने वोट की कीमत समझनी होगी .
वोट करें और सही उम्मीदवार को ही सत्ता सोंपें.
waah sushil ji
bahut sahi kaha aapne.
ab to mauka aaya hai hamara jawab dene ka.aankhein kholne ki ab hamari bari hai aur is jimmedari ko hamein poori tarah nibhana hoga.itna to in netaon se hamein bhi sikhna chahiye na ki jab mauka mile to apna rang janata bhi dikha sakti hai.kal tumhari bari thi aaj hamari hai.
वाह.. वाह.. वाह..
दिल खुश कर दिया आपने...
आज नेताओ से निपट ही लिया जाये...
अपने वोट के दम पर...
आओ फिर भी वोट करें
अपने नेता के काम को
लौकतंत्र की तराजू में तौल चलें।
जिस जिस नेता ने दिखाई हो होशियारी
उनकी तो आँखे खोल ही चलें।
मीत
कुल मिलकर कश्मीर में डेड सौ आतंकवादियों के घुसने की खबर है...कल तीन जवान ओर शहीद हुए .... आई पी एल की पल पल की खबर टी वी दे रहा है .करूणानिधि के मुताबिक प्रभाकरण आंतकवादी नहीं है ....अमर सिंह आज़म खान को गाली दे रहे है ,दिग्विजय मायावती को ...संजय दत्त को अचानक अपने माँ का मुसलमान होना याद आया जब वे पचास की उम्र में पहुंचे है ....लोग शोर मचा रहे है वोट दो वोट दो.....किसको ????????.
संसद पर हमला करने वाला अब भी जेल में है...शहीद हुए पुलिस वाले के परिवार का किसी से कोई लेना देना नहीं....
कभी कभी सोचता हूँ एक दिन ऐसा भी होगा कोई माँ बाप अपने बच्चो को आर्मी में नहीं भेजेगे फिर क्या होगा इस देश का ??????
सही वक़्त पर सही कविता पेश की है ....
बातें गरीबों की खूब करता हैं
फिर ना जाने क्यों ?
करोड़ो रुपये अपने पास भी रखता हैं।
वो तो रोज़ पढ़ ही रहे हैं ..किस के पास क्या और कितना है ..कई बार दिल में ख्याल आता है की इनको वहां सीमा पर उन आतंकवादियों से दो चार हाथ करने को भेज देना चाहिए ..जो जितने आतंकवादी देश की सीमा में आने से रोक सके उसको ही वोट दिया जाए ..फिर उसका हिसाब रुपये की बजाय दे ....
बहुत सामयिक और सटीक लिखा है.............
सही वक़्त है नेताओं की आँखे खोलने का और वो भी वोट की माध्यम से..............उनको भी पता चलनी चाहिए जनता की ताकत
kaash esa hi ho, aankhe khulti nahi naa, baaki sab hota he..
sushilji kavita me sandesh he, loktantra ka ehsaas he..neat ka parihaas he aour ek aas he jo shayad is desh ki janta ke nahi paas he...
yahi to ek mauka milta hai janta ko ...wo bhi kho diya phir kya kar payegi ....bilkul sahi likha hai
समय के अनुकूल कविता....
कोई नेता सोया हो अभी
तो उसकी नींद खोलने के लिए
वोटर नहीं उसका
.... ता तैयार है
।
कविता में आपकी
पैनी तीखी धार है।
नेतागिरी धंधा है भाई.
सही लिखा है सुशील जी
और नीचे रंजना जी की टिप्पणी पढ़, मुस्कुरा उठा हूँ...काश कि सचमुच ऐसा हो पाता
निराले अंदाज में समझदार वोटर बनने का यह संदेश पसंद आया.. आभार
सही कहा आपने, यही तो वक्त को नेताओं को उनकी औकात दिखाने का।
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मॉं की गरिमा का सवाल है
प्रकाश का रहस्य खोजने वाला वैज्ञानिक
susheel ji , bahut hi badhiya likha hai aapne to, bhai hamare desh me political viklaang jyaada hai aur mere vichar me to koi deserve nahi karta kisi bhi tarah ke vote ...
aapne bahut sundar likha hai .. maza aa gaya .. dil se badhai ..
vijay
http://poemsofvijay.blogspot.com
आओ फिर भी वोट करें
अपने नेता के काम को
लौकतंत्र की तराजू में तौल चलें।
जिस जिस नेता ने दिखाई हो होशियारी
उनकी तो आँखे खोल ही चलें।
वोट तो हमने कर दी है....पर हैं तो सभी एक ही ताश के पत्ते....!!
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