Friday, March 25, 2022

सागर सरहदी...

मैंने 'बाजार' फिल्म बहुत बाद में देखी. पहले मुझे उसके गानों से प्यार हुआ था. उस प्यार की बदौलत ही इस फिल्म के गानों की कैसेट ले आया था, जिसमें गानों के साथ-साथ संवाद भी थे. ना जाने कितनी बार अपने वॉकमेन पर उस कैसेट को लगाकर लूप में सुना करता था. तब तक मैं सागर सरहदी जी को नहीं जानता था. तब हम केवल केवल फिल्म के हीरो-हीरोइन को ही जानते थे. फिर बाद में एक दोस्त की बदौलत मैं इस फिल्म को देख पाया था. फिल्म को देखकर फिर इस फिल्म से भी प्यार हो गया था. इसका असर ये रहा कि मैं तुरंत ही मार्किट जाकर इस फिल्म की सीडी ले आया था. इस वक्त तक भी मैं सागर सरहदी जी को नहीं जानता था. फिल्म देखते वक्त मन जरुर हुआ था कि किसने  इस फिल्म को बनाया है वो शख्स कौन है? लेकिन बस बात मन ही मन में रह गई थी. फिर जिंदगी की आपा-धापी में लग गए. सालों बाद एक दिन ऐसा आया कि इरफ़ान जी के 'गुफ़्तगू' कार्यक्रम  में 'सागर सरहदी जी' नजर आए. बातचीत सुनी और देखी गई. और एक सीधे-सच्चे, जज्बाती इंसान से सामना हुआ. और वो दिन था जब मुझे सागर सरहदी जी से भी प्यार हो गया था. उस इंटरव्यू को देखते हुए सागर सरहदी जी का एक-एक शब्द दिल में उतर रहा था. कई जगह उनकी बातों में दुहराव आया लेकिन उनके सवाल जहन को चीर रहे थे. मसलन 'मुझे ये बात आज भी बहुत खटकती है. और सता रही है. ऐसी कौन-सी ताकतें हैं जो आपको अपना गांव छोड़ने के लिए मजबूर करती हैं? आपको आदमी से रिफ्यूजी बना देती हैं?' यह सवाल आज भी दिमाग के एक कौने में बैठा हुआ है. इंटरव्यू के बाद मन करने लगा कि इनको और जानने का. रात भर Youtube पर इनके इंटरव्यू देखता रहा. इंटरव्यू ज्यादा तो ना थे. लेकिन जो थे उन्हें ही बार-बार देखता रहा. बाद में लगा कि इनके और भी इंटरव्यू आने चाहिए. इनके जो भी दर्द हैं. वे बाहर निकलने चाहिए. ना जाने क्या-क्या दबा रखा है इस इंसान ने अपने अंदर. वो बाहर आना ही चाहिए. चाहे फिल्म के रूप में या फिर इंटरव्यू के रूप में, या फिर किसी अन्य रूप में. अगले दिन सुबह होते ही. मुंबई में अपने पत्रकार मित्र को फोन किया. कहा कि ये इंटरव्यू देखो. और अगर खुद इनका इंटरव्यू कर सको तो करो यार. ऐसे इंसान बड़े कम होते हैं इस दुनिया में. खैर! आज यह खबर मिली कि यह महामारी पिछले साल ही इस प्यारे इंसान को भी हमसे दूर ले गई. खबर सुनकर ऐसा लगा जैसे कोई आपका अपना नजदीकी चला गया हो. ऐसा नजदीकी, जिनसे आप कभी नहीं मिले लेकिन जिन्हें आप प्यार करते थे. उनके काम को पसंद करते थे. उनके जज्बात को समझते थे. उनके दर्द को समझते थे. उनके लिए खुशियां की दुआ करते थे.

नोट-फोटो गूगल से ली गई है.

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