अब तक मेरे दिमाग में बस यही आ रहा था कि ये भरी दुपहरी में ऐसा क्यों कर रहा है? क्या इसे भूख लगी है? क्या बस 'जंगल जलेबी' के लिए ही ऐसा कर रहा है? दिमाग में ये नहीं आया कि बैग में बिस्कुट, केक भी तो रखे हैं. मैं बस उसकी मेहनत और लगन को ही देखता रहा. और उसकी 'जंगल जलेबी' पाने की इच्छा से प्रभावित होता रहा. मुझे याद नहीं आता कि मैंने कभी 'जंगली जलेबी' को इस तरह तोड़कर कभी खाया हो. बस इतना याद है कि मेरे ननिहाल में एक मामा हैं वो एक बकरी पाला करते थे. वे उसे अपने पास ना रखकर बकरी पालने वाले दिए रखते थे. और रोज उस बकरी के लिए कुछ ना कुछ खाने के लिए ले जाते थे. वे ढेर सारी बकरियों में भी उसे पहचान लिया करते थे. और उनकी एक आवाज पर वो बकरी दौड़ी चली आती थी. उन्ही दिनों एक बार उन्होंने मुझे 'जंगल जलेबी' खाने के लिए दी थी. उस दिन पता चला था कि जलेबी ही नहीं एक 'जंगल जलेबी' भी होती है. उस दिन के बाद 'जंगल जलेबी' तो कई बार देखी. लेकिन कभी दुबारा खाई नहीं. खैर थोड़ी ही देर बाद मुझे ख़याल आया कि अरे बैग में बेटी के खाने का सामान रखा है. उसमें से कुछ तो इसको दिया ही जा सकता है. फिर मैंने उसे अपने पास बुलाया. बैग खोला तो सामने केक ही था और वो मैंने उसे दे दिया. वो पूछने लगा कि ये क्या है? मैंने कहा कि केक है.केक! शायद उसे केक के बारे में पता नहीं था. केक को लेकर वो फिर से 'जंगल जलेबी' तोड़ने लगा. कहानी बस यही खत्म नहीं होती है. असल कहानी तो आगे शुरू होती है. दरअसल उससे वो केक का पैकेट संभल नहीं रहा था. शायद केक के पैकेट को वो नीचे रखना नहीं चाहता था. क्या पता उसे भूख भी लगी हो. फिर उसने 'जंगल जलेबी' तोड़ना बंद कर दिया. उस रस्सी बंधी बोतल को वहीँ छोड़कर वो केक को लेकर आगे बढ़ गया. मैं वही खड़ा रह गया. फिर कुछ देर बाद जब मैं सेंटर के पास जाने लगा तो बीच रास्ते में वो मुझे फिर मिला. केक बस थोड़ा-सा ही बचा था. तभी उसके पास खड़ी दो लड़कियों में एक लड़की उससे 'जंगल जलेबी' मांगने लगी. ये लड़कियां शायद किसी दोस्त या बहन-भाई का पेपर दिलवाने लाई थीं. और मेरी ही तरह पेपर के छूटने का इंतजार कर रही थीं. इनके 'जंगल जलेबी' के मांगने पर उसने 'जंगल जलेबी' को छिला और एक पीस उन्हें देने लगा लेकिन उन लड़कियों ने वो पीस लेने से मना कर दिया. और कहा कि दूसरा वाला दो. फिर उसने बची हुई पूरी 'जंगल जलेबी' उस लड़की को दे दी. मैं उस बच्चे को देखता हुआ. उसके मिल-बांटकर खाने वाले दिल को महसूस करता हुआ आगे बढ़ गया.
किसी को फसल के अच्छे दाम की तलाश,किसी को काम की तलाश,किसी को प्यार की तलाश, किसी को शांति की तलाश, किसी को खिलौनों की तलाश,किसी को कहानी की तलाश,किसी को प्रेमिका की तलाश, किसी को प्रेमी की तलाश,................ तलाश ही जीवन है
Friday, May 26, 2023
'जंगल जलेबी' वाला लड़का
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