Tuesday, December 9, 2008

बहुत हो चुका, अब कुछ कर जाना


अब कुछ कर जाना हैं
 
यह वक्त नहीं शौक मनाने का
अब वक्त हैं कुछ कर जाने का।
अब इंतजार नहीं करेंगे हम
और जिदंगीयों के जाने का।
इन नेताओं में तो अब जंग लग चुका
अब वक्त हैं खुद ही जंग लड़ जाने का।
आओ अपने अदंर भी झांक लें
अपने कर्तव्यों को पहचान लें।
हिंदू-मुस्लिम, जात-पात, छोटा-बड़ा से ऊपर उठकर
आओ मिलकर रखें एक नये भारत की नींव हम।
     
26 नवम्बर की घटना के बाद तीन दिन तक तो आँख, कान  न्यूज चैनल पर ही लगे रहे। अलग अलग भावों से गुजरा। जब लिखने बैठा तो ये चंद पंक्तियाँ काग़ज पर उतर गई।  ऐसे ही कुछ मिलते जुलते ज़ज़्बात 7 अगस्त की पोस्ट में पेश किये थे। उन्हें भी नीचे पेश कर रहा हूँ।

बुत

देखो उस बुत को
कैसा चमक रहा है
कितनी जगह घेरे है
कितना पैसा खर्च किऐ हैं
अपनी शान के नाम पर
बिल्कुल तुम्हारी तरह
कुछ समय बाद देखना उस बुत को
कोई थूकेगा
पक्षी बीट करेंगे
बच्चे पत्थर से हिट करेंगे
इसलिए
नेताओं  
अब भी समय है
संभल जाओ
कुछ ऐसा कर जाओ
आने वाली पीढ़ियाँ नाज़ करें 
शान से तुम्हारी बात करें

18 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत बढिया व सामयिक रचनाएं हैं।बहुत अच्छा लिखा है।बधाई।

आओ अपने अदंर भी झांक लें

अपने कर्तव्यों को पहचान लें।

हिंदू-मुस्लिम, जात-पात, छोटा-बड़ा से ऊपर उठकर

आओ मिलकर रखें एक नये भारत की नींव हम।

Jimmy said...

shyari mein netao ki bare mein aacha varnan kiyaa aapne good going sir


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मीत said...

सच कहा आखिर हम कब तक शोक मनाते रहेंगे... जब तक हम नहीं जागेंगे तब तक यह देश भी सोता ही रहेगा...
बजा दो सबके दिल के अलार्म...
मैं आपके साथ हूँ हमेशा...
---मीत

श्यामल सुमन said...

सिर्फ सोचने से क्या होता अच्छा है कुछ कर जाना।
नहीं माँगकर भीख दया की हक की खातिर लड़ जाना।
न जाने किस नयी आस में घुट घुट कर जीते हैं लोग,
बार बार मरने से अच्छा एक बार ही मर जाना।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com

रंजू भाटिया said...

संभल जाओ

कुछ ऐसा कर जाओ

आने वाली पीढ़ियाँ नाज़ करें

शान से तुम्हारी बात करें

बहुत सही बढ़िया बात कही है आपने ...अच्छा लगा इसको पढ़ना .इस वक्त जिन हालत से हम सब गुजर रहे हैं वह बहुत मुश्किल हैं ...

ताऊ रामपुरिया said...

बेहद सटीक और सामयीक !

रामराम !

हरकीरत ' हीर' said...

गाँधी जी, आपके उत्‍सुक मन ने दिल की बात कही है...तलाश जारी रखें..

makrand said...

नेताओं

अब भी समय है

संभल जाओ

कुछ ऐसा कर जाओ

आने वाली पीढ़ियाँ नाज़ करें

शान से तुम्हारी बात करें

bahut sahi kaha aapne

रंजना said...

बहुत सटीक और सार्थक लिखा है.सचमुच समय सोने का नही है.जब तक हम अपने अधिकारों और कर्तब्यों के प्रति जागरूक नही होंगे , यूँ ही भीतरी बाहरी शक्तियां हमें रौंदती रहेंगी.

डॉ .अनुराग said...

ठीक कहा कुछ दिनों तक सोचने समझने की शक्ति जैसे शीण हो गई .आक्रोश ,क्रोध हताशा हावी रही......आपने उस एकाविता की शक्ल दी..कुछ गुबार तो निकला

नीरज गोस्वामी said...

कुछ समय बाद देखना उस बुत को
कोई थूकेगा
पक्षी बीट करेंगे
बच्चे पत्थर से हिट करेंगे
सच्ची बात...अब चेत जाने का वक्त आ गया है...
नीरज

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

कुछ समय बाद देखना उस बुत को
कोई थूकेगा
पक्षी बीट करेंगे
बच्चे पत्थर से हिट करेंगे
सच्ची बात...अब चेत जाने का वक्त आ गया है...
haan meri bhi yahi raay hai....

sandhyagupta said...

Achcha likhte hain aap.Shubkamna.

राजीव तनेजा said...

यह वक्त नहीं शौक मनाने का

अब वक्त हैं कुछ कर जाने का।

अब इंतजार नहीं करेंगे हम

और जिदंगीयों के जाने का।

आज के समय अनुरूप सटीक कविता....

राज भाटिय़ा said...

आओ अपने अदंर भी झांक लें

अपने कर्तव्यों को पहचान लें।

हिंदू-मुस्लिम, जात-पात, छोटा-बड़ा से ऊपर उठकर

आओ मिलकर रखें एक नये भारत की नींव हम।
बहुत ही सुंदर लिखा आप् ने, काश ऎसा ही हम सब करे.
धन्यवाद

Smart Indian said...

बहुत ही सुंदर रचनाएँ, और सार्थक भी. काश हम आज में रहकर कल को देख पाते तो आज का बहुत कुछ दुखदायी घटने से बच जाता.

तरूश्री शर्मा said...

नेताओं से उम्मीद रखना बेकार है सुशील जी। किसी ने कहा तो बड़े परिप्रेक्ष्य में होगा लेकिन इनके संदर्भ में मुझे सटीक लगता है।
खुदा तो मिलता है इंसान ही नहीं मिलता,
ये चीज वो है जो देखी कहीं कहीं मैंने।
नेता नाम के कीड़े में इंसानियत नाम का कोई वजूद नहीं होता।

bhuvnesh sharma said...

ऐसे निराशाजनक माहौल में भी आशावाद कायम रख पाना बड़ी बात है.....जब सभी ओर से राजनेताओं और सिस्‍टम को गालियां ही मिल रही हों तब आपकी पंक्तियां पढ़कर सुकून मिला

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