चूहा और कौआ
फंसा चूहा कौए की चोंच में
चूहे के लिए
एक तरफ पहाड़, दूसरी तरफ खाई
बीच में अस्तिव की लड़ाई
चूहा छटपटाता
झटके मार पूंछ को चोंच से निकालता
पर फिर से फंस जाता
तभी
समय ने ली एक करवट
गुजरा वहाँ से एक परिंदा
चूहे पर आई उसको दया
लगा भगाने वो कौए को
पर कौआ था बलशाली
पीछे हटता एक कदम
आगे बढ़ता दो कदम
चूहा लहूलुहान हो गया
सोचा चूहे ने अब तो बस मौत
परिंदा फिर भागा कौए की तरफ
मौका देख चूहे ने फिर से की एक कोशिश
गिरता पड़ता चूहा पहुँचा अपने बिल
जीवन यही हैं
संघर्ष करते जाना
अपना अस्तिव बचाना
ऊपर दी गई फोटो www.mikejewel.com से ली गई हैं। जिन्होने ये फोटो ली उनका नाम Micheal .C. Jewel हैं जोकि Marylanda , USA में रहते हैं। इस तुंकबदी को और जीवंत दिखाने के लिए मुझे लगा ये फोटो लगा दूँ । इसके लिए Micheal .C. Jewel जी का बहुत शुक्रिया।
12 comments:
जीवन यही हैं
संघर्ष करते जाना
अपना अस्तिव बचाना
आप इसे तुकबंदी कहते हैं? ये तो जीवन की सच्चाई है...खरी बात कही है आप ने और फोटो तो मनो पूरी रचना को ही बयां कर देती है. वाह..
नीरज
बडी पारखी नजर है।
जीवन संघर्ष का यह रूप भी निराला है। हम क्या कहें, क्या करें?
जीवन यही हैं
संघर्ष करते जाना
अपना अस्तिव बचाना
सही सच्ची तस्वीर है इस रचना में ...
संघर्ष अस्तित्व की रक्षा हेतु करना पड़ता है यही जीवन चक्र है. बढ़िया चित्र
neraj ji ne theek kaha hai bandhuvar ....yahi jeevan hai...sangarsh karna aor apna astitv bachaana ....
bahut ghari baat
jeevan ka bus yahi ek sach hai
sangharsh karte jana
bahut achhe sabdon main sachha msg
जीवन यही हैं
संघर्ष करते जाना
अपना अस्तिव बचाना
-एक अच्छा संदेश देती रचना.बधाई.
Hi, Unfortunately for me I'm not able to read or write hindi. I used google translator to translate the blog to some extent and it seems like maybe you're saying that the rat being attacked by the crow is a metaphor for life? That we're each of us a rat perpetualy trying to escape our own existential crows of sorts? I'd really love to understand exactly what you've written.
Anyway, I'm glad you liked the photo.
ऐसे लग रहा है
मानो मित्र
दोनों गहरे
खेल रहे हैं.
चूहा कौए को
घर अपने
ले जाना
चाह रहा है.
वो पकड़ कर
पूंछ उसकी
बढ़ता ही
जा रहा है.
संभावना है यह भी
कौआ चूहे को
पूंछ पकड़ कर
घोंसले अपने
ले जाने को
उत्सुक है.
वहां वो दिखाएगा
वे अंडे जो
हैं तो कोयल के
पर कौआ उन्हें
अपना माने
सेता है.
बुद्धि का सेतु
बिना पुल के
अविरल बहता है.
- अविनाश वाचस्पति
bhut badhiya. sacchi bat. jari rhe.
सभी बंधुवरों का धन्यवाद। खासकर Micheal.C.Jewel जी का जिनकी फोटो ने इस रचना को सार्थकता प्रदान की।
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