शनिवार की रात को लेटे लेटे एक कहानी के बारे में सोच रहा था सोचते सोचते अपने बहुत पुराने लेख(जोकि औरत पर लिखा था जब मैं स्कूल में पढता था) की याद आ गई। फिर लगा उसे ढूढने कि वह किस फाईल में रखा । फ़िर क्या था अलमारी की वह रेक खुली जो सालो से नही खुली थी। जहाँ प्यारी प्यारी यादें बिखरी पडी थी। कुछ मीठी-खठी कविताऐ फाईलो में लगी थी। वही पुरानी बातें डायरी में दर्ज थी। बस फिर क्या था लगा उन्हें पढ्ने, नींद पता नही कहाँ किस देश चली गई। कभी पढ कर हंस देता, कभी पढ कर आँखे गीली हो जाती। कभी आँखे बंद कर उस पल को जीने की कोशिश करने लगता। देखते देखते ही कब सुबह हो गई पता ही नही चला सुबह का एहसास चिडियों की आवाज से हुआ। खैर रात बीत गई। पर यादें, बातें, कविताऐ, मेरे से अभी भी ये सब बाते कर रही है। सोचता हूँ आप सब साथियों को भी शामिल कर लू। तो शुरुआत एक कविता से करता हूँ जो कि शायद अपने स्कूल के दिनो में पढी थी। कविता का नाम हैं - Dream Pedary. लेखक का नाम है- Thamas Lovell Beddoes.
यदि सपने बाजार में बिकते तो तुम कौन सा सपना खरीदते?
किसी सपने की कीमत होती एक क्षणिक सुखद विचार और
किसी की एक हल्की सी आह। आह जो जीवन की
पराकाष्ठा ( ताज मूकुट) से उतरती हैं। और गुलाब की पखुडी
कैसी सुन्दर होती है।
यदि सपने बाजार में बिकते और सपनो का सौदागर
घंटी बजा बजा कर सुखदायक तथा दुखदायी सपने बेचता
तो तुम कौन सा सपना खरीदेते।
पेडो के कुंज की छाया में बनी एक शांत झोपडी का सपना
जो मेरी मृत्यु तक मेरे जीवन के दुखो का निवारण करता।
जीवन के मूकुट के मोती मैं प्रसन्नता के साथ ऐसे
सपने की कीमत मैं दे देता। यदि सपने अपनी इच्छा से
मिलते तो मैं एक शांत कुटिया का सपना खरीदता
जो मेरे दुख के घावों को भली भांति भर देता॥
किसी सपने की कीमत होती एक क्षणिक सुखद विचार और
किसी की एक हल्की सी आह। आह जो जीवन की
पराकाष्ठा ( ताज मूकुट) से उतरती हैं। और गुलाब की पखुडी
कैसी सुन्दर होती है।
यदि सपने बाजार में बिकते और सपनो का सौदागर
घंटी बजा बजा कर सुखदायक तथा दुखदायी सपने बेचता
तो तुम कौन सा सपना खरीदेते।
पेडो के कुंज की छाया में बनी एक शांत झोपडी का सपना
जो मेरी मृत्यु तक मेरे जीवन के दुखो का निवारण करता।
जीवन के मूकुट के मोती मैं प्रसन्नता के साथ ऐसे
सपने की कीमत मैं दे देता। यदि सपने अपनी इच्छा से
मिलते तो मैं एक शांत कुटिया का सपना खरीदता
जो मेरे दुख के घावों को भली भांति भर देता॥
शुक्रिया लेखक का जिसने हमें एक सुन्दर कविता दी।
नोट- जो भी साथी अपनी राय देना चाहे तो साथ में ये जरुर बताये कि वह क्या खरीदता अगर सपने बाजार में बिकते।
7 comments:
शायद एक सुखद संसार का सपना खरीदना चाहूंगा।
जब मैने अपनी पत्नी से पूछा कि तुम कौन सा सपना खरीदती तो झट से जवाब आया खूब सारा पैसा वाला सपना। बाकी सब कुछ है मेरे पास।
ऐसी दुनिया का जिसमे हर तरफ़ प्यार ही प्यार हो कोई भूखा, बीमार,बेबस या लाचार न हो
सुशील जी
बहुत प्यारी कल्पना है। सपने देखना सबका अधिकार है। जितने मर्जी देखिए।
खरीदने को तो बन्धु खुशियाँ ही खुशियाँ खरीदता अपने लिए लेकिन अफसोस....ज़्यादातर खुशियाँ बिना पैसे के नहीं मिलती
कविता बहुत सुन्दर है.
दोस्त ये भी एक सपना है कि काश सपने खरीद पाते, पर यदि खरीद सकते तो पेडो के कुंज की छाया में बनी एक शांत झोपडी का सपना खरीदते.
शानदार कविता
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