आज की पोस्ट मैं अपनी डेढ साल की बेटी की वजह से लिख रहा हूँ। जिसने हमें आज एक नया पाठ सिखाया।
कल ही की तो बात है मेरे को खाँसी आई तो मैं खाँसने लगा। तो झट से ही मेरी बेटी मुझे इशारों में समझाने लगी, एक हाथ मुँह पर रख खाँसने की एक्टींग कर बताने लगी कि ऐसे खाँसते है। यह बात कुछ दिनो पहले जब इसको खाँसी आई थी तो उसकी मम्मी ने समझाई थी। कि बेटा जब भी खाँसी आऐ तो मुँह पर हाथ रख कर खाँसते है। वो हमें बताती है चप्पल हमेशा पहनो, मैं अगर नंगे पैर हूँ तो मेरी चप्पल उठा लाऐगी और जब तक मैं उन्हें पहन ना लूँ तब तक इशारो से बताती रहेगी कि इन्हें पहनो। वो जो भी चीज जहाँ से उठाती है वहीं रख के आती है। ये सब हमने ही उसे बताया सिखाया है। पर हम दोनों ही उसको सिखाई हुई बातों पर अमल नही करते है।तब ही गाँधी जी याद आ गये। कहीं किताब मे पढा था कि एक बार एक परिवार गाँधी जी के पास आया और बोला कि हमारे बेटा ज्यादा ही गुड खाता है आप जरा इसे मना कर दे ये आपकी बात नही टालेगा। तो गाँधी जी बोले कि कल आना। तो वह परिवार अगले ही दिन फिर बेटे को लेकर पहुँचे, तो गाँधी जी ने उनके बेटे को कहा कि बेटा ज्यादा गुड नहीं खाना चाहिए। परिवार परेशान होकर बोला कि गाँधी जी ये तो आप कल भी कह सकते थे। तो फिर आपने हमें आज क्यों बुलाया। गाँधी जी बोले कि कल तक तो मैं भी ज्यादा गुड खाता था तो कैसे मना कर सकता था। पर आज से मैने गुड खाना छोड दिया है। यह एक बडी अजीब बात है। हम(चाहे वो नेता हो, पत्रकार हो, नोकरशाह हो, या फिर कोई अन्य) अपने चारों तरफ हर किसी को ये समझाते रहते है कि ये करो, ये सही है, ये ना करो ये गलत है। पर खुद उस पर कितना अमल करते यह हमने कभी नही सोचा। अगर हम अपने कहे पर ही अमल करने लगे तो यह दुनिया कितनी सुन्दर हो जाये। हमारी बेटी मोटी- बडी किताबों को बिना पढे ही हमारी टीचर बन गई है।
3 comments:
ham sab apane ko badalane ki soch le tio duniya hi badal jaaye. vaise, betiyaa sabhii ko badalane kaa maadaa rajhatii haim. aap bhii badal jayenge. dhiiraj dhare.
बेंटियाँ जिनकों मिलें वों किस्मत वाले!
apki bitiya ko dher sara payar ...
Post a Comment