जिन्दगी
ये जिन्दगी एक जुआ है
जो कभी नही सोचा
यंहा वो भी हुआ है
हुआ जो भी, लगता है कुछ खास नही
क्योंकि खास का कोई एहसास नही
एहसास शायद इस कर नही ,खास शायद कुछ था ही नही
जिन्दगी ओ जिन्दगी
जिन्दगी में अक्सर ऐसा हुआ है
जो कभी नही सोचा
यंहा वो भी हुआ है
इसलिए जो हो गया , शायद वह खास नही
और जो होगा, शायद खास है वही
किसी को फसल के अच्छे दाम की तलाश,किसी को काम की तलाश,किसी को प्यार की तलाश, किसी को शांति की तलाश, किसी को खिलौनों की तलाश,किसी को कहानी की तलाश,किसी को प्रेमिका की तलाश, किसी को प्रेमी की तलाश,................ तलाश ही जीवन है
Friday, February 29, 2008
Thursday, February 28, 2008
सपने
सपने
सपने जो कभी न हुए अपने
ख्वाब बेबस ख्वाब
जागती आंखो के ख्वाब
नही अलग सपनों से मगर
लगता है न होते ये अगर
कटता कैसे जीवन का सफर
शायद मेरे यही है हमसफ़र
हमसफ़र बेबस हमसफ़र
कभी जिन्हें देखने से लगता है डर
कहीं इसने भी छोड़ा साथ अगर
जिएंगे कैसे हम ता उम्र भर
क्योंकि दिया इसने ही सहारा मुझे
छोड़ा जब भी तन्हाई ने मुझे
सपने जो कभी न हुए अपने
ख्वाब बेबस ख्वाब
जागती आंखो के ख्वाब
नही अलग सपनों से मगर
लगता है न होते ये अगर
कटता कैसे जीवन का सफर
शायद मेरे यही है हमसफ़र
हमसफ़र बेबस हमसफ़र
कभी जिन्हें देखने से लगता है डर
कहीं इसने भी छोड़ा साथ अगर
जिएंगे कैसे हम ता उम्र भर
क्योंकि दिया इसने ही सहारा मुझे
छोड़ा जब भी तन्हाई ने मुझे
Saturday, February 16, 2008
उठ जाग मुसाफिर
उठ जाग मुसाफिर
उठ जाग मुसाफिर
सुबह को ना जागा , अब तो जाग
जीवन की दोपहर होने को आई है।
सुन साथी
दुनिया पहुँची मंगल पर
फ़िर क्यूं तू ठहरा पेड़ की छाँव में
देख , परख , चल उठ
उठ जाग मुसाफिर
सुबह को ना जागा , अब तो जाग
जीवन की दोपहर होने को आई है।
सुन साथी
जीवन की दोपहर होने को आई है।
सुन साथी
किस गली गुम हो गये तेरे सपने
किस कर टूट गये माँ बाप से किये वादे
किधर खो गई तेरी इन्कलाबी बातें
"किसान है कमजोर, आम जन है बीमार और व्यापारी रहते सदा जवान।
इसलिए नही होती कोई क्रांति अपने देश "
सोच समझ , चल दिल में भर इक जोश
उठ जाग मुसाफिर
सुबह को ना जागा , अब तो जाग
जीवन की दोपहर होने को आई है।
सुन साथी
जीवन की दोपहर होने को आई है।
सुन साथी
शरीर क्या है। इक मिटटी
आत्मा क्या है। इक अमर तत्व
तू क्या है ? तू क्या होगा ?
इक मिटटी या इक अमर तत्व
शेष अभी भी दोपहर और शाम
चल बढ़ा फ़िर से एक कदम
हमारी बेटी
नैना
कोई तेरे होने पर मनाये खुशी
और कोई अफ़सोस
कोई तेरे आने पर दे बधाई
और कोई दे तसल्ली
ऐसा क्यूं होता हैं नैना ?
कोई तुझे चुनमुन पुकारे
और कोई नैना
कोई तुझे दुर्गा बोले
और कोई सुनयना
ऐसा क्यूं होता हैं नैना ?
कोई हँसे कि तू हँसे,
कोई रोये क्योंकि तू रोये
कोई खाये कि तू खाए
कोई सोये क्योंकि तू सोये
ऐसा क्यूं होता हैं नैना ?
कोई कहे यह लड़कियों की सदी
कोई कहे फिर भी लड़किया क्यू मार दी जाती है होने से पहले
कोई बोले बेटे होते बुढापे की लाठी
कोई बोले मेरी बेटी मेरे बुढापे की आँखे
ऐसा क्यूं होता हैं नैना ?
मेरी पहली पोस्ट मेरी बेटी के नाम, जब यह हमारी दुनिया में आई थी.
Subscribe to:
Posts (Atom)