मैं साल-छह महीने एम्स ना जाऊं तो वो खुद ही बुला लेता है. पता नहीं उसका मन नहीं लगता है या फिर मेरा. 20 साल का याराना जो ठहरा हमारा. ऐसा ही याराना पहले RML हॉस्पिटल के साथ होता था. खैर सुबह घर से 6.30 बजे निकले. 7.30 बजे एम्स. उधर देखे तो सब सुनसान . एकदम दिल घक्क से किया. कहीं आज छुट्टी तो नहीं. खैर पूछताछ के लिए आगे ही बढ़े थे कि एक लाइन दिखी. दुनिया लाइन से घबराती है. मैं लाइन देख आज खुश हो गया. लाइन का आख़िरी सिरा पकड़ में आ गया. और आगे का मुंह नजर भी आ गया. परंतु लोग चलते ही जाएं, लेकिन लाइन खत्म होने का नाम ही ना ले. वहीं पीछे खड़ा इंसान मेरे हौसले को खत्म करने पर उतारू था. भाई साहब एक साल हो गए यहां आते हुए. आजतक इतनी लंबी लाइन नहीं देखी. मैं अपना हौसला बनाने के लिए हंस पड़ा. और बोला,' भाई साहब हिम्मत रखो. अंदर जाकर लोग बंट जाएंगे. कोई किसी OPD में जाएगा और कोई किसी OPD में. लेकिन वो मेरी बात पर हां तो कर गए लेकिन जाते-जाते वही बात कहने से नहीं माने कि 'भाई साहब एक साल हो गए यहां आते हुए. आजतक इतनी लंबी लाइन नहीं देखी.'
किसी को फसल के अच्छे दाम की तलाश,किसी को काम की तलाश,किसी को प्यार की तलाश, किसी को शांति की तलाश, किसी को खिलौनों की तलाश,किसी को कहानी की तलाश,किसी को प्रेमिका की तलाश, किसी को प्रेमी की तलाश,................ तलाश ही जीवन है
Wednesday, October 8, 2025
भाई साहब एक साल हो गए एम्स आते हुए. आजतक इतनी लंबी लाइन नहीं देखी...
Friday, October 3, 2025
सुनो... हां आई...
6.
सुनो
आज फिर आई थीं तुम
सपने में
जैसे हर बार आती हो.
लेकिन आज
तुम हिम्मत का दुपट्टा ओढ़े थीं
मैं डर का कुर्ता पहने था.
तुम मेरे नजदीक आ-आकर
बातें किए जा रही थीं
बार-बार
मेरा हाथ पकड़े जा रही थीं
मैं दुनिया से डरा-सहमा
बार-बार ही
अपना हाथ छुड़ाए जा रहा था
तुमसे फासले बनाए जा रहा था.
ठीक वैसे ही फासले
जैसे पहले तुम बनाया करती थीं
लेकिन आज मैं बेहद खुश था
क्योंकि
तुमने अब लोगों की परवाह करना छोड़ दिया था
अपने ख़्वाबों को प्यार करना शुरू कर दिया था.
7.
सुनो
कभी-कभी सुबह
सपने में सिर्फ तुम्हारा आना ही याद रहता है
बाकी कुछ भी नहीं.
याद करने पर भी
कुछ याद नहीं आता.
बस तुम्हारे आने का अहसास होता है
अहसास भी ऐसा
जैसे अभी-अभी तुम
मुझसे मिलकर चली तो गई हो
लेकिन
अपनी खुशबू यहीं छोड़ गई हो
मेरे पास.
8.
सुनो
पता है
आज मेरे सपने में
कौन आया?
अरे बाबा तुम नहीं
भोले बाबा.
वे कह रहे थे
मेरे से पहले तुम
'राम' का नाम लिया करो
बस ये कहकर वे चले.
क्यूं आया ऐसा सपना
मुझे कुछ पता नहीं
तुम्हें कुछ पता हो
तो बताना.
9.
सुनो
आज सपने में
मैं कहीं अकेला
उदास-सा बैठा था.
तुम मेरे पीछे से आईं
और पूछने लगीं
यूं अकेले क्यों बैठे हो?
मैं चौंका
तुम्हारी आवाज सुनकर
पीछे मुड़कर तुम्हें देखा
बस एकटक देखता रहा
और फिर
रो पड़ा.
ऐसे-जैसे कोई बच्चा
जब तकलीफ में होता है तो
मां को देखकर रो पड़ता है.
10.
'सुनो.'
'हां, आई.'
आखिर बार
कब कहे गए थे
ये तीन शब्द
हम दोनों के बीच
कुछ याद है तुम्हें!