Friday, November 18, 2022

सर कविता क्या होती? शेक्सपीयर से पूछकर बताऊंगा!

 

सर,

पिछले दिनों बेटी के मांगने पर उस पर लिखी अपनी रचनाएं तलाश रहा था. उसी तलाश के दौरान ये डायरी मिली, जिसमें आपने मेरे लिए यह लिखा था. अपना लिखा यह याद है आपको!! याद तो होगा ही. आप भूलने वाले लोगों में कहाँ थे. ना जाने अब कहां होंगे? किस दुनिया में होंगे? और किस रूप में होंगे आप? लेकिन इतना पता है आप जहां भी होंगे अपनी धुन में लगे होंगे. जैसे यहां इस दुनिया में लगे रहते थे. वसुंधरा वाले घर के अपने कमरे की उस मेज पर, किताबें पढ़ते हुए, कुछ रचते हुए. हंसराज कॉलेज की कक्षाओं में मुझ जैसे स्टूडेंट्स को पढ़ाते हुए. नाटक मंच के पीछे. या फिर नाटक मंच के आगे में सबसे पीछे की किसी कुर्सी पर, अपनी आंखें नम किए हुए. पता है सर मैं अक्सर पीछे मुड़कर देखा करता था आपको भावुक होते हुए. जो जज्बात आप कह नहीं पाते थे वो जज्बात आपकी आंखें बोल जाती थीं.

और हाँ सर आपने मेरा वाला वो सवाल तो अब तक पूछ लिया होगा ना शेक्सपीयर जी से. वही वाला सर. जो मैंने एक बार आपसे पूछा था कि सर कविता क्या होती?’ और आपने मजाक में कहा था शेक्सपीयर से पूछकर बताऊंगा! अब तो आपकी खूब छनती भी होगी शेक्सपीयर जी से. आप कहाँ चैन से बैठने वालों में से हैं. बुला लेते होंगे जार्ज बर्नार्ड शॉ जी को भी. और फिर दुनिया जहां की बातें-बहस होती होंगी. जैसे वसुंधरा वाले सोसाइटी वाले पार्क में धूप में पांच-सात कुर्सियां पर बैठकर आप लोग किया करते थे. यहां की तरह हंसी-मजाक, बहस की आवाजें वहां भी दूर तक जाती होंगी. उन्हें सुनकर बाकी लेखक लोग भी आ जम जाते होंगे बाकी खाली पड़ी कुर्सियों पर. उसके बाद फिर जो समा बंधता होगा. उसके बारे में सोचकर ही मैं आनंदित हो रहा हूं. उधर आप उतने प्रसन्न होते होंगे. खैर जब आपकी याद आती है या तो आपकी किताबें उठा लेता हूं या फिर बेटी-पत्नी को आपके बारे में बताने लग जाता हूँ, आपके जो किस्से मुझे पता हैं, उन्हें सुनाने लग जाता हूं. पता है सर कभी-कभी मन करता है कि आपके समकालीन या आपके दोस्तों के पास जाऊं और उनसे आपके किस्से पूंछू. उन्हें फिर कलमबद्ध कर. एक किताब का रूप दूं. कुछ दिलचस्प किस्से प्रताप सहगल जी ने सुनाए थे एक बार. और ना जाने कितने और होंगे. उनमें से कितने किस्सों को सुनकर आनंद आएगा. कितने किस्सों से हौसला मिल जाएगा. और कितनों से एक नई राह मिल जाएगी. वो राह फिर किसी-किसी को मंजिल तक भी ले जाएगी. खैर आपकी कमी बेहद खलती है. आप वो पेड़ थे, जिसकी छाया में बैठकर मैं अपने मन की कह लेता था. आपके अनुभव से कुछ सीख लेता था. आपके पास बैठकर एक नई ऊर्जा मिलती थी. हौसला मिलता था. लेकिन अब कोई आप जैसा हौसला नहीं बढ़ाता. सर आपकी कमी खलती है. आपकी याद आती है!

[आज ही के दिन सिद्धू सर हम सबको छोड़कर चले गए थे!]

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