बिल्ली दौड़ चूहा आया
साथियों नैना बेटी ने मेरा नया नाम बिल्ली ही रख दिया है। जब भी मेरे साथ खेलती है बस बिल्ली ही पुकारती है। बिल्ली अब दूसरा गेम खेलते है। बिल्ली अब चीडिया उड़ी,भैंस उड़ी खेलते है। बिल्ली अब चूहा दोड़ बिल्ली आई खेलते है ..........। जैसे ही खेल कर खत्म फिर से वही पापा जी। अजी मेरा नाम ही नही उसने तो अपने चाचा का नाम भी मीना रख दिया है। एक दिन शाम को जब आया तो देखा नैना अपने चाचा को बुढढा( उनके बाल अभी से सफेद होने लगे है) कह रही थी मैंने कहा "बेटा ऐसे नही कहते वो आपके चाचा है।" कहने लगी "पापा जी जब वो मेरे को मोटी बोलेगे तो क्या मैं बुढ्ढा ना बोलूँ। अगर वो मुझे नैना जी कहेंगे तो मैं भी उन्हें चाचा जी बोलूँगी।" खैर उनकी ये लड़ाई ऐसे ही चलती रहती है। जिस बचपन को हम जिदंग़ी की गलियों में भूल जाते है उसे हम अपने बच्चों के बचपन में देखते है। कुछ ऐसा ही है हो रहा है आजकल। उसकी छोटी छोटी बातें, शरारतें, जिद सब देखता सुनता हूँ। कभी देखकर हँसता हूँ। कभी गुस्सा भी हो जाता हूँ। और कभी भावुक हो जाता हूँ। और फिर अपने बचपन को याद करने की कोशिश करता हूँ तो बस दो यादें ही आँखो के पर्दे पर चलती है नर्सरी क्लास की। एक हम बच्चों को खूब सारे बिस्कुट खाने को मिलते थे। दूसरी एक दिन मै पापा जी की घंडी बाँध कर चला गया। मैडम ने देख लिया और घड़ी उतार ली। फिर जो मार पड़ी मम्मी से बस पूछो नही। बस इन दो यादों के अलावा कुछ याद नहीं। पर मैं इसकी खूब सारी यादें संजोकर रख लेना चाहता हूँ। जिस दिन स्कूल गई सब खुश थे क्योंकि घर में और बच्चें नही है और नैना बच्चों के साथ खेलने के लिए कई बार रोती है। कोई बच्चा अगर हमारे घर किसी काम से आ जाए तो समझो उसे वह नही जाने देती है। हमको इस बात की तसल्ली है कि इस बहाने कम से कम बच्चों के संग खूब खेल सकेगी। उनसे खूब सारी बातें भी कर सकेगी। उसकी मासूम सी बातें मेरे दिल को छू जाती है। एक दिन तबीयत ठीक नही थी मैं लेटा हुआ था वो आई और कहने लगी "पापा जी ये लो चने खा लो" मैंने कहा "बेटी मैं बाद में खा लूँगा मेरी तबीयत ठीक है थोडी देर सोने दो" और चने रखकर मेरे पैरों के पास रखी चदर को मुझे उढ़ाने की कोशिश करने लगी। पर मैने कहा बेटी रहने दो मैं खुद ही ओढ लूँगा। यह देख आँखे भर आई। ऐसे ही काफी दिनों पहले मैं पी सी पर बैठा कुछ काम कर रहा था। उसे बेड पर रखा केला नजर आ गया वह उसे उठाकर छीलने लगी। अक्सर उससे केला छिलता नही था पर उस दिन उसने वह केला छील दिया तो मेरे पास आकर बहुत खुश होकर बोली "पापा जी मैंने केला छील दिया मैं बड़ी हो गई।" देखो जिदंगी कैसी है हम बच्चें होना चाहते है और बच्चें बड़े होना चाहते है। सच वो अब बड़ी हो गई है दादी माँ सी बातें करने लगी है। एक दिन इसका चाचा इसके लिए छोटा सा केक ले आया तो मैंने कहा "बेटी मुझे भी दे दो" तो कहने लगी "इसे बड़े नही खाते बच्चें खाते है" और जल्दी जल्दी सारा केक खा गई। जब से स्कूल जाने लगी है मैडम भी हो गई है। अपनी मम्मी से कहती है "मैं मैडम हूँ बताओ ऐ फोर क्या होता है। उसकी मम्मी बोलेगी ऐ फोर आलू होता है।" फिर नैना बोलेगी "अरे बुद्धु ये भी नही आता ऐ फोर एप्पल होता है।" ऐसे ही वो हम सबको पढ़ाती फिरती है। स्कूल जाने के दो तीन बाद उसे छोटे छोटे बाल गीत याद होने लगे। फिर क्या हर रोज एक नया बाल गीत सुनाती है हम सबको। पर सबसे पहले वह अपनी पसंद के दो बाल गीत सुनाती है फिर बाकी के बाद में। तो लीजिए आप भी पढ़िए उसकी पसंद के दो बाल गीत।
बन्दर मामा
देखो आये बन्दर मामा,
कुर्ता ढीला तंग पजामा।
ठुमक-ठुमक कर नाच दिखाते,
माँग-माँग कर पैसे लाते।
चन्दा के घर जाऐगी गुड़िया
चन्दा के घर जायेगी गुड़िया
दूध मलाई खायेगी गुड़िया,
ब्यूटीफुल बन जायेगी गुड़िया।
तारों के संग आयेगा दूल्हा,
चन्दा के घर जायेगी गुड़िया।
सच एक दिन नैना ऐसे ही हँसती खेलती हुई अपने चंदा के घर चली जाऐगी अपने बाबुल का घर छोड़कर। और हमारे पास बस उसकी यादें रह जाऐगी कभी खूब हँसाने के लिए, कभी उसकी याद दिलाने के लिए और कभी क्या अक्सर रुलाने के लिए। इससे पहले कि मेरी आँखे बोलने लगे जल्दी से उसकी एक पहेली का जवाब दीजिए जो वो मेरे से अक्सर पूछती रहती है और उसकी माँ उसे बताती रहती है।
"कटोरे में कटोरा बेटा बाप से भी गौरा" बताओ बताओ जल्दी से सोच कर बताओ। हम चले।
31 comments:
बहुत कोमल हैं पिता पुत्री के संबंध..इस रिश्ते को सिर्फ़ महसूस किया जा सकता है. नहुत सुंदर शब्द दिये आपने इन जज्बातॊं को. बहुत शुभकामनाएं.
रामराम.
bhawukata se labrej kawita ......jisame puri picture hai ek gudiya rani ki ........bahut hi sundar laga
पहले तो बधाई हो नैना ने स्कूल जाना शुरू कर दिया....
और नैना की पहेली का उत्तर है... नारियल....
और ये तो सच है ही की बेटिया पराया धन होती हैं...
नैना के लिए एक सुंदर रचना लिखी है...
मीत
मार्मिक पोस्ट के लिए बधाई।
सुबह सबह इमोशनल करने लगे आप तो.. ये बेटिया इतनी प्यारी क्यों होती है.. ?
वैसे पहेली का जवाब तो अपने बस में नहीं है..
हम भी स्पाइडर मेन ओर कितने खेल खेलते है जी....ओर टी वि पर कृष्ण का एक एक एपिसोड पचास बार देखते है ....
बच्चे ऐसे होते ही हैं कि दिल में घर कर जाएँ...
बच्चों की बातें सोचते सोचते दिन छोटा पड़ जाता है........... मार्मिक, बहुत ही भावुक पोस्ट लिखी है आपने.........सच में पल में हंसाते हैं ये, इनकी बातें ख़त्म नहीं होती......... नैना बेटी को हमारा प्यार .............
:) :) [yari si gudiya..pyari pyari baateN
सम्वेदन्शील रचना. बधाई.
sushil ji
sabse pahle to naina ke school jane par badhayi aur wo school uniform mein to bahut hi sundar lag rahi hai........kisi ki nazar na lage ....nazar ka tika laga dijiyega.............naina ki bholi aur masoom batein padhkar dil khush ho gaya.........sach bachpan aisa hi hota hai...........aap uske bachpan ko apne shabdon mein ,photo mein qaid kar lein jab badi hogi tab use dikhaiyega.
नन्ही सी परी की नन्ही मीठी प्यारी बाते ..बेटी सयानी जल्दी होने लगती है ..पापा का ध्यान रखना सहंज ही सीख जाती है ..खूब खुश रहे और यूँ ही गुनगुनाती रहे यही दुआ है
sach to ye he ji, ki bas rula diya/ kuchh esa sochne par mazboor kar diya jo jaankar bhi bhulana chahte he/ jo vidhi ka vidhaan he//ham 'beti' ke 'bapo' ka kaleza koi dekhe....,saallaa saagar bhee apani gahraai par itaraana bhool jayega// vo ishvar kab rota he, pataa he...jab beti apane 'ghar' jaati he aour babul rota he..///
sushilji...pls esi marmik chije mat likha kijiye...//
बेटियों की बस बेटियां ही जानें.
सुशील जी नैना को देख कर आनंद आ गया...और उसकी बातें...ओहो,
she is so cute....god bless her with all the happiness and successes!!!
आपके ब्लौग पर अब इंतजार रहेगा नैना की बातों का...
नन्ही परी से मिलकर अच्छा लगा !
दिल कर रहा था उसकी मीठी सी आवाज में
ये सब पोयम सुनूँ !
सदा खिलखिलाती रहे ... गुनगुनाती रहे !
स्नेह व आशीष !!!
आज की आवाज
ऐसे संस्मरण पढ़ती हूँ ,तो कुछ हो जाता है ..एक पुरानी tees उभर के आती है ..
चश्मे -बद -दूर ...बिटिया की नज़र उतार लीजिये ..!
बिटिया को मेरी तरफ से ढ़ेर सारा प्यार दे दिजियेगा और उसे यह कविता भी सिखा दिजियेगा..
एक दो
कभी ना रो..
तीन चार
रखना प्यार..
पांच छः
मिल कर रह..
सात आठ
पढ़ ले पाठ..
नौ दस
जोर से हंस..
और हां.. उसकी पहेली का जवाब हमें नहीं मालूम कि यह नारियल है.. :)
heloo uncle
how r u. i read ur this post..very funny ..naina's photo are nice..told me my fother.. naina is very sweety girl..i want meet her..
hay uncle, pls come on my blog and see my new post about swine flu..
okay..
bay bay uncle
कुछ ऐसी ही प्यारी बातें हमारे पास भी हैं. पिता-पुत्री के अनूठे स्नेहिल रिश्ते की यहाँ कुछ और बानगियाँ मिलेगी ये सोचकर फिर आने का वादा.
बचपन के दिन भुला ना देना....
betiyon ki baat hi kuch alag hoti hai ji .. mujhe yaad hai ,, jab main naina se mila tha to wo kitni khush thi aur uski totli baate aah , yaar naina to bahut hi pyaari bitiya hai aur aap ke jaise itne pyaare pita ho to phir baat hi kya hai .. bhai mera bhi pyaar dena naina ko ... uske photo pasand aaye usko ...?
namaskar.
vijay
http://poemsofvijay.blogspot.com/
aji sushil ji,
kyon abhi se naina kee chinta kar rahe ho ki doosre ghar jayegi. abhi jitne bhi saal tak is ghar me hai use to poori masti se jiyo.
or haan, main indore me taau ke yahan se comment kar raha hoon.
भावभीनी अभिव्यक्ति दिल को छू गई।
अपने बच्चे में बचपन देखना मैंने भी शुरू कर दिया है:)
सबसे पहले नैना के स्कूल शुरू करने पर बहुत बहुत बधाईयाँ और शुभकामनायें.
बच्चों की बातें होती ही इतनी प्यारी हैं की आप को सारा दिन उल्लास से भरे रहती हैं.
नैना की बातें अच्छी लगीं और उसकी पसंद की कवितायेँ भी.
-स्वतंत्रता दिवस की भी हार्दिक शुभकामनाएं
जिस बचपन को हम जिदंग़ी की गलियों में भूल जाते है उसे हम अपने बच्चों के बचपन में देखते है।
jee ... bikul sahi baat kahi hai. aapkee kalam aakarshit kartee hai. dil aur dimag dono par asar kartee hai aapkee ibaraten.
Naina ke school jane par bahut badhaii..
uska uchit margdarshan karten rahen ..ik behad achcha insaan banne main..
Meri bhee ik bitiya hai..isliye samajh sakti hun...betiyon ka javaab nahii !!
God Bless her !!!
नैना को मेरी और से एक गीत.......
हम नानी के घर जायेगें
लड्डू पूरी खायेगें
नानी कहेगी आओ आओ
हम चिड़िया बन उड़ जायेगें .......
...sundar !!
ant main kya hua kya naina ne chahca ko buddha, aur chaha ne naina ko moti kehna chora...
...aur agar nahi to bahut badhiya !!
hahaha....
aisee maasumiyat ki keemat ke badle hum umra daraz hote hain !! kitna mehanga hai bada hona !!
kuch bohot achcha sa laga in choti choti shararton ko padhkar, jaisa sab kuch aankhon ke samne he ghatit ho rha ho....shukriya..!!
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