भगत सिंह को याद करते हुए, आओ मनाएं उनका जन्मदिन।
अपना पेट तो पशु सरीखा,
हर कोई हर दम भरता ।
धन्य जीना उस महापुरुष का,
दूसरों के लिए मरता॥
हर कोई हर दम भरता ।
धन्य जीना उस महापुरुष का,
दूसरों के लिए मरता॥
आओ, सिमरो भगत सिंह सूरमा, लो शीश उसकी सोच पे झुका।
रोज़ जनमें न भगत शहीद जैसे, देते देश आज़ाद करा।
ज़िन्दाबाद सदा नारा इंक़लाब का, दिया घर-घर हिन्द में पहुँचा।
भाई व पुजारी मुल्लां मक्कार, रहे हउओं से लोगों को डरा।
तर्कों की तेग़ तीखी पकड़के, वहमों को किया था फना।
नित्य नया खंडा बरते विज्ञान का, सोच सान पर लिया जो घिसा।
आओ, सिमरो भगत सिंह सूरमा, लो शीश उसकी सोच पे झुका।
रोज़ जनमें न भगत शहीद जैसे, देते देश आज़ाद करा।
ज़िन्दाबाद सदा नारा इंक़लाब का, दिया घर-घर हिन्द में पहुँचा।
भाई व पुजारी मुल्लां मक्कार, रहे हउओं से लोगों को डरा।
तर्कों की तेग़ तीखी पकड़के, वहमों को किया था फना।
नित्य नया खंडा बरते विज्ञान का, सोच सान पर लिया जो घिसा।
आओ, सिमरो भगत सिंह सूरमा, लो शीश उसकी सोच पे झुका।
मरने का नाम ज़िन्दगी हैं,
सर पर कफन लपेटे,
क़ातिल को ढूँढते हैं ।
सर पर कफन लपेटे,
क़ातिल को ढूँढते हैं ।
दिल से निकलेगी न मरके भी
वतन की उलफ़त।
मेरी मिट्टी से भी,
ख़ुशबूए वतन आएगी॥
मरके भी हम मिट्टी अन्दर,
दफनाए रह नहीं सकते।
युगों युग, हर दिल में,
हर पल जोत आज़ादी जगाएँगे॥
नोट- ये विचार चरण दास सिंधू जी के भगत सिंह पर लिखे तीन नाटकों से लिए गए है जिनका प्रकाशन वाणी प्रकाशन ने किया हैं। और सभी फोटो बी बी सी हिंदी से लिए गए है। सभी का बहुत धन्यवाद।
वतन की उलफ़त।
मेरी मिट्टी से भी,
ख़ुशबूए वतन आएगी॥
मरके भी हम मिट्टी अन्दर,
दफनाए रह नहीं सकते।
युगों युग, हर दिल में,
हर पल जोत आज़ादी जगाएँगे॥
नोट- ये विचार चरण दास सिंधू जी के भगत सिंह पर लिखे तीन नाटकों से लिए गए है जिनका प्रकाशन वाणी प्रकाशन ने किया हैं। और सभी फोटो बी बी सी हिंदी से लिए गए है। सभी का बहुत धन्यवाद।
11 comments:
आभार सुशील जी। शहीदे आजम भगत सिंह जैसे महान क्रांतिकारियों का स्मरण भी न करें, तो हमसे बड़ा कृतघ्न कोई और न होगा। उन्हें शत शत नमन।
दिल से निकलेगी न मरके भी
वतन की उलफ़त।
मेरी मिट्टी से भी,
ख़ुशबूए वतन आएगी॥
अमर शहीद को नमन !
प्रणाम शहीद भगत सिंह जी को !
आपने शहीद भगत सिंह जी को याद करके इस पीढी को
चित्रों सहित जो जानकारी दी है उसके लिए आपका आभार !
श्री चरण दास सिंधू जी को उनके विचारों के लिए प्रणाम !
बहुत सुंदर और ज्ञान वर्धक पोस्ट !
चित्र और विचार
क्रांति की ललकार
पर कल गया पुकार
पुकारता ही रह गया
सामान गिर गया
पर सामान उठाने वाला
फूल वालों की सैर से
वो फूल कल महरौली
की गली से उठ गया
विस्फोट क्या हुआ
धुंआ भी न रहा
फूल भी गया, अब
धूल भी गई
जीवन ही है यह सब
नहीं है सपना
सच है सब
कल का वो भगत सिंह
आज ये भगत सिंह है।
आपने अच्छे गीत उपलब्ध करवाए। भगत सिंह को हार्दिक श्रद्धांजलि।
जब से सुना हैं हमने,
मरने का नाम ज़िन्दगी हैं,
सर पर कफन लपेटे,
क़ातिल को ढूँढते हैं ।
सिंधू सर ने बहुत ही अच्छी पंक्तियां लिखी हैं
आजादी के इस सच्चे योद्धा को मेरा भी नमन
जिस ने हमे आजादी दिलवाई उसे मै प्राणाम करता हु, आप की बेटी को भी जन्म दिन की बहुत बधाई
धन्यवाद
दो फोटो मै लिये जा रहा हूँ....इस महान आत्मा के ...
आप की बेटी को भी जन्म दिन की बहुत बधाई
गुडिया को जन्मदिन की ढेरो शुभकामनायें...
और आपके इस प्यारे से लेख के लिए आभार...
जय हिंद....
ये देश है वीर जवानों का..अलबेलों का...मस्तानों का
भगत सिंह को सौ-सौ बार नमन...
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