एक बच्चा
सुन्दर,बलवान सा
चेहरे पर तेज़ लिए
सादा सा लिबास पहने
घूमता-फिरता, इधर-उधर
कभी इस गली, कभी उस शहर
जिसकी चर्चा होती रहती
टीवी और अखबारों में
लेखकों की सभाओं में
नेताओं की संसद में
गाँव की चौपालों में
आम-जन की बातों में
सब के सब बात ही करतें
पर कोई इसे अपनाता नहीं
क्योंकि
बच्चें का नाम सत्य है
और सत्य के साथ कोई होता नहीं
17 comments:
सुशील जी बहुत सच्ची रचना...
मेरा एक शेर है:
यूँ जहाँ से निकाल सच फैंका
जैसे सालन में कोई बाल रहा
नीरज
हमने सच को रोते देखा झूठ के सिरहाने....
एक बच्चा
सुन्दर,बलवान सा
चेहरे पर तेज़ लिए
सादा सा लिबास पहने
घूमता-फिरता, इधर-उधर
कभी इस गली, कभी उस शहर
har baar ki tarha is baar bhi sunder likha hai
सच को कहती सच्ची रचना ...
सत्य कड़वा होता है ना इसीलिये...
बहुत सुन्दर है
कह सकते हैं की आपने सत्य लिखा है...
जारी रहे
क्या सही कहा ?
सत्य के साथ कोई होता नहीं ,
भगवान तो शायद रहते ही होंगे।
सत्य बयां करती सुन्दर रचना-बधाई!
सही बात कही आपने।
मैं भी मानता हूँ कि
ये बच्चा अनाथ है
बेचारगी इसके साथ है।
सच्चाई को अपनाना बहुत कठिन होता है इसलिए कोई उसे नहीं अपनाता....बहुत अच्छी रचना!
सत्य को किसी के सहारे की जरुरत नही होती।
सत्य का रास्ता बङा कठिन होता है इसलिए उसपर चलने वाले को निडर और निष्ठुर होना होगा । लेकिन आज इतनी सहनशीलता किसपर है जो इसे अपना सके। बहुत ही अच्छी रचना है यथार्थ।
सरकार आजकल सत्य की कौनो जरूरत ना है....प्रैक्टीकल नाम का छोरा पकडि़ए
बहुत दूर ले जाएगा आपको
हमने सच को रोते देखा झूठ के सिरहाने...
लाजवाब रचना ! बहुत शुभकामनाएं !
kavita निश्चित ही सराहनीय है.
कभी समय मिले तो हमारे भी दिन-रात आकर देख लें:
http://shahroz-ka-rachna-sansaar.blogspot.com/
http://hamzabaan.blogspot.com/
http://saajha-sarokaar.blogspot.com/
gahan baat ko saralta se kehne wali rachna..vaise Sushil ji..kaha gaya hai..Ekam Sad...Satya ek hai..to kya isilye akela rehna uski niyati hai ?
बहुत सुंदर. सत्य कमज़ोर-दिलों के बस का काम नहीं है! धन्यवाद!
प्रिय सुशील, सबसे पहले तो आज आपके माँ चिट्ठे पर पधारने एवं टिप्पणी करने के लिये आभार व्यक्त करना चाहता हूँ.
उसके बाद यह रेखांकित करना चाहता हूँ कि आपका चिट्ठा एवं आपकी रचनाये बहुत पसंद आईं
-- शास्त्री
-- ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है जिसने अपने विकास के लिये अन्य लोगों की मदद न पाई हो, अत: कृपया रोज कम से कम 10 हिन्दी चिट्ठों पर टिप्पणी कर अन्य चिट्ठाकारों को जरूर प्रोत्साहित करें!! (सारथी: http://www.Sarathi.info)
सत वचन....
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