Tuesday, August 19, 2008

बचपन के दिन (पान वाले की दुकान और सुरीले गाने)

दो एक दिन पहले महेन जी ने अपने ब्लोग पर एक गाना सुनवाया था। गीत के बोल थे " चल उड़ा जा रे पंछी" । गीत के बोल मुझे मेरे बचपन में ले गए जब मैं पढ़ा करता था। तब गानों की इतनी समझ नही थी वैसे आज भी समझ नही आई हैं। जो गाने तब अच्छे नही लगते थे अब वो गाने अच्छे लगते हैं। बस इतना फर्क आ गया हैं। खैर बात बचपन की हो रही थी। जब हमारी आधी छुट्टी होती थी तो मै और मेरा एक दोस्त बाहर पेट पूजा करने आते थे। चार डबलरोटी लेकर उसके बीच में छोले रख कर और ऊपर से खट्टी चटनी डाल कर हम दोनो खाते थे। और स्कूल के पास ही एक पनवारी की दुकान थी जहाँ हम खड़े हो जाते थे। क्योंकि उसके पास टेप रिकार्डर था और हर समय चलता रहता था। बस हम दोनों एक साईड में खड़ॆ होकर गाने सुनते थे। 10 या 15 मिनट तक। उसके पास गानों की कैसेटों की भरमार थी। वह हमें अपनी दुकान से भगा ना दें इसलिए उससे हम संतरे की छोटी छोटी मीठी गोलियाँ ले लिया करते थे। वहाँ एक गाना अक्सर बजता था जो मुझे बहुत ही अच्छा लगता था। पर कल ही पता चला कि वह गाना नही कव्वाली हैं। जब मैं उसको यूटयूब पर सर्च कर रहा था। उसके बोल हैं " चढ़ता सूरज धीरे धीरे ढलता हैं ढल जाऐगा" । कल से कई बार सुन चुका हूँ फिर एकदम ख्याल आया आप सभी साथी दोस्तों को भी ये सुनवाया जाए। अच्छा लगे तो दो शब्द, खराब लगे तो चार शब्द कहना।






साभार: www.youtube.com . youtube वालों की बहुत मेहरबानी जिनकी बदौलत ये कव्वाली मैं फिर से सुन पाया और सुनवाया पाया ।

14 comments:

रंजू भाटिया said...

बचपन की यादें कभी भूलती नही है ..कुछ भी वैसा घटित होने पर दस्तक दे ही जाती है ..इसको सुनवाने का शुक्रिया

rakhshanda said...

बहुत अच्छा लगा पढ़ कर, सचमुच बचपन की यादें हमारे जीवन का सरमाया होती हैं, भूल कैसे सकती हैं.

डॉ .अनुराग said...

अच्छा गाना है ओर जीवन से जुड़ी हर चीज खूबसूरत हो जाती है...

बालकिशन said...

वाह.
कई यादें ताज़ा कर दी आपने.
बहुत-बहुत-बहुत बार सुना है इसे.
आनंद आ गया.
आभार.

Anil Pusadkar said...

bahut shaandar qawaali hai... jab gaya sikandar to dono hath khali the. kash in lino ko sab samajh paate

कुश said...

anurag ji se sahmat hu jeevan se judi har cheez hi bahut khoobsurat hoti hai

शोभा said...

बहुत सुन्दर लिखा है। पढ़कर आनन्द आगया। बधाई स्वीकारें।

pallavi trivedi said...

achcha varnan aur achcha gana....

Manish Kumar said...

shukriya is qawwali ko hum tak pahuchane ke liye. pehle iska mikhda suna tha aaj aapki wazah se poora sun paya.

Udan Tashtari said...

बेहतरीन!!सुनवाने का शुक्रिया!

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

ये कव्वाली सबकी पसँदीदा है
इसे यहाँ सुनवाने का बहोत बहोत शुक्रिया !
आपकी यादेँ भी रोचक हैँ ~~
- लावण्या

मीत said...

sushil ji apki 15 aug- ki kavita bahut hi achi hai..
itni badhiya or khoobsurat rachna se parichay karane ke liye shukriya...
jari rahe...

Ila's world, in and out said...

विगत से जुडी हर याद हमें फ़िर से जिला जाती है,उस पर भी बचपन की याद तो हमें वर्तमान की सभी परेशानियों/कठिनाइयों को भूलने में मददगार साबित होती है.ये कव्वाली तो पहली बार सुनी,आपका धन्यवाद.

राज भाटिय़ा said...

बहुत ही सुन्दर लिखा हे आप ने , ओर जब कव्वाली सुनने लगा तो चली ही नही, वहां लिखा हे
We´re sorry,this video is no lon......
ओर फ़िर हम भी पीछे पड गये की भाई कोन सा गीत हे,अगर आप चाहे तो यहां से दोवारा लिंक ले कर डाल ले, बहुत धन्यवाद
http://video.google.de/videosearch?q=chardta+suraj&hl=de&sitesearch=#q=charta%20suraj&hl=de

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