Saturday, June 28, 2008

जीवन क्या है?

जीवन


जीवन क्या हैं?

मैं अक्सर सोचता हूँ

क्या?

जीवन एक पाठशाला है

इसका एक हेड्मास्टर भी होता है

पाठशाला में हम

हंसते है रोते हैं

खेलते है गाते है

हर कक्षा में नये नये पाठ पढ़ते जाते है

पाठशाला हमारा इम्तिहान भी लेता है

हम पास होते है फेल होते है

और कभी हम कम्पार्टमेंट भी होते है

यहाँ हम साथी भी बनाते है दुश्मन भी बनाते है

किसी ने अगर प्यार की घंटी बजा दी

तब उसे अपना जीवन साथी बनाते है

पाठशाला के कुछ कयादे नियम भी होते है

कभी उन्हें तोड़ हम खुश होते है

कभी उन्हें तोड़ हम पशताते हैं

फिर एक दिन ऐसा भी आता है

जब हम ना चाहते हुए यह स्कूल छोड़ जाते है

7 comments:

Anonymous said...

जीवन एक वन है
वो नंबर वन भी है
वो समस्‍याओं का वन भी है
वो समाधानों का मंगल भी है
वो बगीची नहीं
पूरा जंगल भी है
जीवन अव्‍वल नंबर है
अव्‍वल नंबर वन ही है
वन जंगल है
पर जंगल वन नहीं
बिना तलाशे जो मिलता है
जिसमें सब रहते हैं
हम सब मिलते हैं
जीते हैं वही जी वन है
जी को भाए वही वन है.
- अविनाश वाचस्‍पति

रंजू भाटिया said...

जिंदगी एक पाठशाला ही तो है जो रोज़ नई बाते सिखाती है ..अच्छी है यह कविता

कुश said...

बहुत सही लिखा है आपने.. जीवन एक स्कूल ही तो है

डॉ .अनुराग said...

कभी अपने सपनो को
आसमान में सजाते है
कभी अपनी हसरतो को
हथेलियों में छुपाते है....
कभी पहाडो ,कभी जंगलो
कभी रेगिस्तान भटकते है
कभी अपने जिस्म में यूँ
ही मर जाते है......
जीवन क्या है......


आपकी कविता पर अपनी तुकबंदी कर दी.....इसे पढ़कर मुझे इस रात की सुबह का वो गाना याद आया ...जीवन क्या है ?आपका अंदाज है इस कविता में.

महेन said...

वाह… खयाल अच्छे हैं…

"ज़िंदगी नाम है कुछ लम्हों का
उनमें भी वही इक लम्हा
जब दो बोलती आँखें
चाय की प्याली से उठ्ठें
तो सीधे दिल में डूबें…"
अपन तो इसी रुमानियत के सहारे जी रहे हैं… ज़्यादा सोचना जीवन के साथ नाइंसाफ़ी है।
शुभम।

Udan Tashtari said...

दार्शनिक भाव लिए यह रचना बहुत पसंद आई...जीवन क्या है???

राजीव तनेजा said...

जीवन की कटु व मधुर सच्चाईयों और स्कूल में अच्छी समानताएँ ढूँढी आपने...

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