मौत को चुमता बचपन
अभी कल रात को समाचार सुना कि एक बच्चे ने आत्महत्या कर ली. क्योंकि उसके पेपर अच्छे नही गये थे. दूसरी तरफ एक समाचार सुना कि कुछ बच्चो को स्कूल से निकाल दिया क्योंकि उनके नम्बर कम ओर कुछ फेल हो गये थे स्कूल काफी फेमस है. ये सुनकर हर बार की तरह दिमाग घुमा. ऐसा क्यों हुआ ओर ऐसा क्यों होता है. ऐसे वाक्या हर साल होते है ओर लगभग 2500 बच्चे अपनी जान दे देते है. मीडिया खबर दिखा कर कह्ता है कि सरकार को कुछ करना चाहिए . सरकार कहती है हम चिंतीत है. समाज अफ्सोस जता कर चुप हो जाता है पीडीत परिवार रो पीट कर शांत हो जाता हो ओर फिर से जिंदगी की भागम भाग में शामिल हो जाता है. क्या हमें सोचना नही चाहिए कि मासूम बच्चे अपना जीवन खत्म ना करें .कुछ बाते दिमाग के दरवाजे पर दस्तक देने लगी. हम माँ बाप बच्चे के पैदा होने से पहले ही योजना बना लेते है कि हमारा बच्चा लडका होगा तो हम ये बनाऐगे ओर् लडकी होगी तो ये बनायेगे. कोई ये नही पूछ्ता कि बच्चे तू क्या बनना चाहेगा. वो पैदा भी अपनी मर्जी से नही होता ओर ना ही अपने फैसले वह खुद ही ले सकता है.यह सच कि माँ बाप का हक है कि वे सही गलत को बताऐ.परंतु हर माँ बाप को अंबानी, टाटा, गेट्स, सचिन, धोनी,इंदिरा नूर, सानिया मिर्जा चाहिए. किसी को भी गाँधी, भगत सिंह, बाबा आम्टे, अरुणा राय, मेधा पाट्कर, नही चाहिए. इससे लगता है कि सब को पैसा ओर फेम चाहिए. इसका मतलब ये नही कि किसी को गाँधी, भगत, मेधा नही चाहिए बस अपने घर नही चाहिए पडोसी के घर चाहिए. यह हमारा अधिकार नही. हमारा अधिकार इतना है कि हम उन्हें अच्छी शिक्षा दीक्षा दे बाकि का काम उनका है कि वो क्या बनते है.मुझे ये लगता है कि माँ बाप पर अपनी शान का, ओर समाज का दवाब होता है लोग क्या सोचेगे कि फला के बेटे के कितने अच्छे नम्बर आऐ है, फला के बेटे ने तो उसकी नाक ही कट्वा दी.लोग क्या सोचेगे वाला जुमला हर किसी को परेशान किये रह्ता है. इन समाज के लोगों का दवाब केवल मासूम लोगों पर ही क्यों बना रहता है? आप सुनेगे कि फला लड्के ओर लड्की ने आत्मह्त्या कर ली क्योंकि उनके प्यार को समाज का डर था.एक इंसान ने आत्मह्त्या कर ली कर्ज के कारण क्योंकि समाज के सामने उसे अपनी बेइज्ज्ती का डर था. ऐसे बहुत उदाहरण मिल जाऐगे. जहाँ समाज का डर है ओर ये लोग भले ओर मासूम होते है परतु समाज का बेइमान को, गुडे को, आदि को डर नही होता है क्यों ऐसा है? मेरी समझ में नहीं आता है. यह एक अजीब बात है.मैं हर माँ बाप को कहना चाहूंगा कि धोनी, सचिन, हरभजन,आदि कोई ज्यादा पढे लिखे नही है परंतु अपनी पंसद के काम में है ओर इसके कारण ही ये आज सबके हीरो है. ये भी समझे कि हर बच्चा सचिन नही बन सकता, क्योंकि अमिताभ कभी दलीप कुमार नही बन सका, शाहरुख कभी अमिताभ नही बन सका.समाज ऊपर उड्ते पक्षियो को देखता है सलाम करता है नीचे चलते जीवो को नही. इसलिये हर माँ बाप अपने बच्चे को उडता पंक्षी बनाना चाहता है नीचे चलता जीव नही.
2 comments:
दुनिया में मचा रहेगा
सदा यही रोना धोना
सबसे ऊपर रहे सवार
मेरी संतान ऐसी हो हां
चाहे मैं कहीं का ना ?
अच्ची सोच ...परिपक्व विचार....
लिखते रहो
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