Friday, March 14, 2008

मुखोटो की दुनिया में एक साधारण चेहरा


वह कौन


देखो वह साँवला जोशीला
पहने सादी पेंट और सफेद कमीज
आँखो पर जो पहने मोटा चश्मा
पैरो में कपडे के जूते
और कंधे पर डाले एक सादा झोला
वह कौन?
मस्त मनमोह्क चाल से चला जाता
बूझो तो उसका नाम
लोग कह्ते कि वह कालेज में बच्चों को इंगलिश है पढाता
पर बच्चे कह्ते कि वह हमें जीवन जीना सिखाता
बुधिजीवी कह्ते कि वह चार चार भाषायें जानता
पर कामगार कहते फिरते कि वह हमारी बोलियाँ बोलता रहता
वह कौन?
मस्त मनमोह्क चाल से चला जाता
बूझो तो उसका नाम
किसान कह्ते कि वह रुप बदल बदल गाँव गाँव इंसानी कहानी की तलाश में घूमता फिरता
पर गाँव के बच्चे कहते कि जैसे फाहयान घूमता फिरता
कहानीकार कह्ते है कि वह कहानियों को स्टेज पर जींवत करता
पर दर्शक कह्ते कि शहीद भगत, बाबा बंतू, भजनो, किरपा, सत्यदेव, चन्नो, शंकर, कमला, ओर लेखू को देख पीछे बैठा रोया करता
वह कौन?
मस्त मनमोह्क चाल से चला जाता
बूझो तो उसका नाम
उनके दोस्त बोले घर उनका सादा सा, कमरा उनका आधा सा, जँहा लगा किताबो का ढेर
पर पडोसी बोले घर के बाहर लगी लकडी की एक प्लेट जो बोले "नेता, भिखारी, ओर हाकिमो का यहाँ ना है कोई गेट
धर्मानुयाई कह्ते फिरते कि वह किसी धर्म को नहीं है मानता
पर कोई चुपके से कह्ता कि वह नफरत को नही मानता
आलोचक कह्ते इसमें भी हैं दोष
पर दूर कहीं से आई एक आवाज ये ना हैं कोई भगवान, ये तो हैं बस एक इंसान
वह कौन?
मस्त मनमोह्क चाल से चला जाता
बूझो तो उसका नाम

अब आप सोच रहे होगे कि ये बंदा कौन है जिस पर ये तुकबंदी की गई है. उनकी खासियतों के बारे में जान गये होगे. बस एक बात ओर कहूंगा कि मुखौटो की इस दुनिया में एक बगैर मुखोटे का चेहरा. इनका नाम चरन दास सिधू, हंस राज कालेज दिल्ली के भूतपूर्व अंग्रजी के टीचर,एक पंजाबी नाट्ककार, अब तक 33 नाटक लिख चुके है ओर साथ ही एक सच्चे इंसान.आज 14.03.08 को उनका जन्मदिन है उनके जन्मदिन पर मेरी तरफ से यह उपहार.
यहाँ उनकी कलम का जादू भी पेश कर रहा हूँ
उठो गरीबो, हो इक्ट्ठे
भिड जाओ साथ अमीरों के
मांगे ह्क्क न कोई देता
ह्क्क है सब शमशीरों के
किस्मत अपनी आप बनाओ
मालिक बन तदबीरों के
कमिमयों, बांधो सिर पर कफन
छोडो राह फकीरों की

1 comment:

vandana gupta said...

shandaar........aaj to aapne gurudakshina ka haq ada kar diya.badhayi sweekarein.

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