तुम निडर हो, तुम अडिग हो
पथिक तुम, चलते जाना।
जीवन पथ की दुख व्यथा से
तनिक भी न तुम घबराना।
इस प्रलय के वक्ष स्थल पर
चढ़कर तुम हुंकार लगाना।
हँसते रहना, चलते रहना
दुख को अमृत सा पी जाना।
तुम शक्ति हो, तुम भक्ति हो
धर विश्वास तुम बढ़ते जाना।
सच्चे मन से मीत तुम्हारे लिए
मेरी बस यहीं शुभकामना।
-अमिताभ श्रीवास्तव
पथिक तुम, चलते जाना।
जीवन पथ की दुख व्यथा से
तनिक भी न तुम घबराना।
इस प्रलय के वक्ष स्थल पर
चढ़कर तुम हुंकार लगाना।
हँसते रहना, चलते रहना
दुख को अमृत सा पी जाना।
तुम शक्ति हो, तुम भक्ति हो
धर विश्वास तुम बढ़ते जाना।
सच्चे मन से मीत तुम्हारे लिए
मेरी बस यहीं शुभकामना।
-अमिताभ श्रीवास्तव