हमारी नैना
हमारी नैना बड़ी होने लगी हैं
छोटे छोटे पैरों से दोड़ने लगी हैं |
सुबह जब उठती हैं फूल सी हसंती हैं
अम्मा, बाबा, मम्मा, पप्पा, चाचू, बुआ को मार आवाजें सारे घर में घूमती फिरती है |
जब नहाने की करों बात तो रोनी सी सूरत बना लेती हैं
नहा-धो कपड़े पहन जब वह आती हैं परी सी वह दिखती हैं |
शब्दों को सही सही बोल नही पाती हैं
पर इशारों में सब समझाती जाती हैं |
अपनी जानवरों की किताब में सब जानवरों को वह पहचानती हैं
पूछने पर उंगली रख वह हम सबको बतलाती हैं |
घूमने की शौकिन झट पी पी करती मोटरसाईकिल पर चढ़ जाती हैं
सबको बाय बाय बोल टाटा करती जाती हैं |
जब कभी कोई उसे हल्का सा भी डांट देता हैं
तब उसकी आँखो से छोटे छोटे मोती टपकने लगते हैं|
कभी कभी मुझे उठा कुर्सी से, खुद को बैठाने का इशारा वह करती हैं
एक हाथ से माऊस पकड़, दूसरे हाथ की उगंलियों कीबोर्ड पर वह चलाती हैं|
आलती पालती मार जब वह खाने बैठती हैं
अपने खाने में से हमें भी वह थोड़ा थोड़ा देती हैं |
जब वह थक जाती हैं तब इशारे से मम्मा को बताती हैं
रख कंधे पर सिर अपना झट से वह सो जाती हैं |
आप अगर मेरी पहली तुकबंदी पढ़ना चाहते जो मैने हमारी नैना के इस दुनिया में आने के बाद की थी तो नीचे दिये लिंक पर क्लीक कर सकते हैं। मैं चाहूंगा कि आप उसे भी पढ़े। पीछे खड़ी नैना की मम्मा कहती कि बताना हमारी बेटी कैसी हैं।
हमारी बेटी
http://meri-talash.blogspot.com/2008/02/blog-post.html#links
वाकई बहुत प्यारी है हमारी नैना.. और आपकी रचना भी जो नैना बिटिया के लिए लिखी गयी है..
ReplyDeleteनैना बहुत प्यारी है और उस पर लिखी कविता भी बहुत प्यारी है ...
ReplyDeleteपहले तो एक कला टीका ओर लगा दे ,...आपकी नैना बेहद प्यारी है.....कविता से भी ज्यादा .....
ReplyDeletebacchon ka masoom bachpan bahut achhe se likha hai aapne
ReplyDeletebachhe man ke sachhe
aapki naina bahut pyaari hai, bilkul pari jaisi
bilkul pari jaisi naina ke bare me sundar bhaav vayakt kiye hai . badhiya .
ReplyDeleteनैना कितनी प्यारी बच्ची है, हमारा ढ़ेरों आशीष. आपकी कविता तो अपने आप सहज ही बन गई इतनी प्यारी बच्ची पर. बधाई.
ReplyDeletenaina ko bahut sara pyaar....aur kavita bhi bahut pyaari hai.
ReplyDeleteBlessings to Naina & your poem is excellent !
ReplyDeleteये तो अपन को अपने बच्चों की ही कहानी लग रही है… लगता है सारे बच्चे ऊपर से एक सी आदतें लेकर आते हैं।
ReplyDeleteशुभम।
yen betiyaan to baabul ki raaniyan hain...meethi meethi pyaari pyaari kahaniyan hai....sach hai
ReplyDeleteबचपन के दिन भुला ना देना..
ReplyDeleteओ..ओ बचपन के दिन भुला ना देना
आपकी कविता पढकर मुझे अपना तो नहीं लेकिन अपने बच्चों का बचपन ज़रूर याद आ गया ...
'नैना' को हम सब की तरफ से ढेरों आशीर्वाद