मन होता नहीं, किसी
से मिलने के लिए
दिल पसीजता नहीं,
जरुरतमंदो के लिए.
खुली आंखें देखती हैं,
जुल्म होते हुए
हाथ उठते नहीं,
जुल्मी लोगों के लिए.
जुबान खुलती नहीं,
अपने हक के लिए
पैर चलते नहीं, सत्य
की आवाज़ के लिए.
दिमाग सोचता नहीं, अपने
देश के लिए
फिर भी लोग कहते हैं
कि, मैं जिंदा हूँ !