जब जान लेती थकान के बाद भी आपको नींद ना आए तो ख्याल जरुर आ जाते हैं। और इन्हीं ख्यालों की गलियों में आवारागर्दी करते हुए आप कब सो जाते है पता ही नहीं चलता। इन्हीं गलियों में पिछले दिनों मुझे एक ख्याल मिला जिससे मिलकर बहुत ही अच्छा लगा। फिर सोचा आप साथियों से भी साँझा कर लूँ। हमारी जिदंगी के चारों तरफ पता नही कितने रंग बिखरे हुए है। बस उन्हीं रंगो में से तीन रंगों को मिलाकर एक रंगीन पोस्ट बनाई जाऐगी। पहला रंग होगा संघर्ष का, दूसरा रंग हँसी का, और तीसरा रंग साहित्य का।
पहला रंग होगा संघर्ष का।

हम सब की जिदंगी में संघर्ष ही संघर्ष है। बस इन्ही संघर्षों में से किसी एक संघर्ष का वर्णन होगा जिसको हम आज भी याद करते है। और वही संघर्ष किसी ना किसी के लिए प्ररेणा स्त्रोत बन जाते है इंसानी संघर्ष के दिनों में। और इंसान मुशीबत के सामने उससे मुकाबला करने के लिए फौलादी दीवार की तरह खड़ा हो जाता है।

हम सब की जिदंगी में कभी ऐसा क्षण भी आता है जब हमारे साथ घटी किसी घटना पर हम सब हँसे हो और आज भी याद करके हमको हँसी आती हो। वही हँसी हम सब ब्लोगर साथियों के चेहरे पर भी आ जाए। और हम सब पेट पकड़कर खूब हँसे।
अब तीसरा रंग साहित्य का।
हम सब पढ़ते है और जो अच्छा लगता है उसे दिमाग के किसी कोने में रख देते है। और जब कभी कुछ पल खाली मिलते है तो उनसे मुलाकात करते है। कभी कभी साँझा कर लेते हैं किसी के सामने। चाहे वो कोई सूक्ति हो, चाहे वो किसी कविता की चार लाइनें हो, या फिर किसी कहानी और उपन्यास का एक डायलाग।
ओड़क ता टूट जाणे, सारे रिश्ते नाते। फेर क्यों न बणा, अम्बर दा तारा टूंटा? श्री चरणदास सिंधू |
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हर सोमवार को किसी ना किसी ब्लोगर के दिल और दिमाग से मुलाकात की जाऐगी और आप साथियों के सामने पेश की जाऐगी। पोस्ट का टाईटल होगा "जिदंगी के रंग" अब बताईए साथियों कैसा लगा ये ख्याल। आप सभी साथी अपनी अपनी राय से जरुर अवगत कराए । और ऊपर के फोटो अमिताभ जी की पोटली में से चुराए गए हैं।
बहुत सुंदर विचार..जिंदगी के रंग बहुत अच्छे ढंग से प्रस्तुत किया आपने..बधाई
ReplyDeleteबहुत उत्तम विचार है, गंगा-जमना- सरस्वती के संगम पर यदा कदा हम भी नहा लिया करेंगे !
ReplyDeleteसुशील जी सुंदर आइडिया
ReplyDeleteपर सच बतलाना कहां से आया
सोते हुए
तब तो आप सो गए होगे
जगते हुए
तो आइडिया ऐसे ही नहीं आ जाते
बतलाना होगा
आइडिया कैसे आते हैं
पर यह आइडिया
अवश्य सुपर डुपर हिट होगा
लोग करेंगे
जब ब्लॉग तलाश
तो मिलेंगे ऐसे व्यक्तित्व
जिनसे मिलकर मिलेगा उल्लास
शाबास सुशील भाई छौक्कर शाबास।
ख्याल तो दुरुस्त है..
ReplyDeleteपर लगता सुस्त है...
अरे सुस्त इसलिए की आपने इतना बढ़िया ख्याल पहले क्यों नहीं सोचा...
बताइए....जरा....
मीत
"जिदंगी के रंग, सुशील जी के संग"
ReplyDeleteबहुत बढ़िया ख्याल है
कुछ न कुछ सकारात्मक एवं सृजनात्मक चीजें ब्लॉग दुनिया में चलती रहनी चाहिए
मैं स्वागत करता हूँ आपकी पहल का !
क्रियेटिव मंच
behtreen khyal hai............ab to roj naye naye rangon se mulaqat hogi.
ReplyDeleteउम्दा ख्याल है और रचनात्मक भी है.. खास बात है किसी की नक़ल नहीं की गयी है..
ReplyDeleteइस बेहतरीन ख्याल के पूरे होने का बेताबी से इंतज़ार है...फोटो और साथ लिखा वर्णन बहुत दिलचस्प लगा...
ReplyDeleteनीरज
ख्याल पसंदा आया। इंतज़ार है सोमवार का।
ReplyDeleteबहुत बढिया आईडिया है.
ReplyDeleteरामराम.
बहुत सुंदर आडिया. धन्यवाद
ReplyDeleteवट एन आइडिया सर जी :) अच्छा ख्याल है यह ..
ReplyDeleteख्याल तो बहुत बढ़िया है |
ReplyDeleteबहुत उम्दा खयाल है. खयाल व्यक्त करने का अन्दाज़ तो बहुत उम्दा है.
ReplyDeleteआईडिया ज़रा हट के है
ReplyDeleteअजी ये बताओ कि मेट्रो वाली पोस्ट कब छापोगे?
ReplyDeleteआइडिये का स्वागत है
विचार अच्छा है .जमे रहिये
ReplyDeleteबहुत अच्छे विचार हैं भाई जान...और आपके ये तीन रंग भी हमें खूब भाए....हमें इंतजार रहेगा
ReplyDeleteविचार अच्छा है...
ReplyDeleteवाह ! बहुत बढ़िया ख्याल है यह तो..आप की पोस्ट का ही नहीं ..ब्लॉग के रंग भी निखरे लग रहे हैं..
ReplyDeleteऔर हाँ नैना को ढेर सारी शुभकामनयें उसके हिंदी के इम्तिहान जो हैं....अ से अनार ,आ से आम!खूब मन लगा कर पढाई करना!
Great thought... Hope this is introspective as well as retrospective!
ReplyDeleteAap aage badhiye.. ham padhne ko taiyar baithe hain..
ReplyDeleteबहुत बढ़िया विचार!!
ReplyDeleteनेक विचार है ....इससे ब्लोगरों के उत्साह में भी वर्धन होगा .....!!
ReplyDeletebahut sahi start hai ..isse bloggers ke jeevan ke baare me hum sabko pata chalenga .. aur sab ka hausla bhi badenga...
ReplyDeletebahut dil se badhai ..
vijay