बेटी का बचपन
यूँ तो अभी बच्ची है
पर बातें दादी माँ सी करती है।
जब कभी कुछ नया देखती है
सवालों की झड़ी लगा देती है।
सूरज बाबा संग मुस्कराती जागती है
उठते ही बस दूध, पापे माँगती है।
जिद करे तो जिददी कहलाए
ना करे तो घर खाने को आए।
गानों की शौकीन
कभी "होले-होले" पर नाचे
कभी "तेरी शादी करुँगा" को गाए।
बच्चों संग खेलने को मचलती है
ना मिले जब कोई
"मेरे साथ खेलो" हमसे कहती है।
टाफ़ी हो, चाकलेट हो या हो फिर पेस्ट्री
याद आने पर दिन-भर माँगती रहती है।
किताबें डाल अपनी मम्मी के बैग में
स्कूल जाने की एक्टिंग करती है।
खुद मेरे साथ जाकर लाई अपनी किताबें नही पढ़ती है
जब तब देखो मेरी मैंगजीनों को देखती, फाड़ती रहती है।
देर रात तक ऊधम मचाए
जब नींद आए तो झट से सो जाए
सोती हुई प्यारी नजर आए
बस यूँ ही देखते रहने को जी चाहे
ऐ ख़ुदा रहम करना
कहीं मेरी ही नजर ना लग जाए।
आजकल बेटी अपनी नानी के यहाँ गई हुई है। घर खाने को दोड़ता है। चुपचाप बैठकर उसकी बातें और शरारतें याद करता हूँ। वही से ये तुकबंदी निकल गई। कोई तुकबंदी लिखूँ और आप साथियों से साझा ना करुँ ऐसा भला हो सकता है। और हाँ आजकल समय नही मिल रहा ब्लोग की दुनिया को देखने का , जब समय होता है तो नेट नही होता है। दस बारह दिन हो गए घर का नेट नही आ रहा। और आफिस में एक आदमी को तीन तीन आदमी का काम करना पड रहा है। खैर पोस्ट डाल रहा हूँ कैफे में बैठकर।
बच्चे...मन के सच्चे होते हैँ...
ReplyDeleteइसीलिए तो कहते हैँ कि बच्चों में भगवान बसते हैँ
मेरे घर मे भी भतीजे और भतीजी का नानाजी के घर जाने का प्रोग्राम बन रहा है।सच कुछ दिन के लिये ही जाते है बच्चे मगर ऐसा लगता है कुछ खो गया है।बहुत सही लिखा आपने। बच्चे ही वो फ़ुल है जिनसे घर-आंगन महकता रह्ता है।
ReplyDeleteबच्चे बहुत सच्चे होते हैं ...दीन दुनियाँ से बेखबर ...तभी तो सबसे ज्यादा प्यारे लगते हैं .....बहुत प्यारी बच्ची है
ReplyDeleteबच्चो से ही घर चहकतामहकता रहता है ...प्यारी बच्ची है ..और अच्छी तुकबंदी
ReplyDeleteबेटियां ऐसी ही होती हैं, कितनी ही बडी हो जायें, इन बेटियों का यही स्वरुप पिता के मन मे बसा रहता है. बहुत सुंदर रचना.
ReplyDeleteरामराम.
Susheel ji ;
ReplyDeleteYe likh kar aapne naina ki yaad dilwa di .....
Kaisi hai wo .....
bahut pyaari nazm likhi hai .aapko dil se badhai ..
vijay
मज़ा आ गया भतीजी से रु-ब-रु होकर...
ReplyDeleteकहीं हमारी भी नज़र ना लग जाये...
पर सच है बच्चों के बिना कुछ नहीं और मुझे तो बच्चे वैसे ही बहुत पसंद है...
मीत
सही कहा आपने सुशील जी.............बच्चे होते ही ऐसे हैं.............पास न हों तो याद सताती है......वो हर बात याद आती है जो भोली भाली होती है ............दरअसल......रोजमर्रा की टेंशन तो बच्चों को देख कर ही दूर हो जाती है.
ReplyDeletebahut badhia aur kya kahe very very good
ReplyDeleteबच्चे होते ही ऐसे हैं.पास न हों तो याद सताती है..बच्चों के बिना कुछ नहीं ,रोजमर्रा की टेंशन तो बच्चों को देख कर ही दूर होती है.....
ReplyDeleteबहुत बढिया लिखा आपने ... सचमुच आजकल के बच्चों की बातें ... कहो तो सामनेवालों को विश्वास न हो।
ReplyDeleteखैर पोस्ट डाल रहा हूँ कैफे में बैठकर।
ReplyDelete...
ohhh bhaai, meri raah apna li hai.
man ko samjha lo, abhi to bitiya naani ke yahan gayi hai, tab hi itna utawle ho rahe ho. kyon? tum nahin jate the kya nani ke yahan. ye to uska bachpan hai.
bachchon ki bholi batein hi dil ko lubhati hain aur zindagi bhar ki yaad bankar dil mein bas jati hain..........bahut sundar likha aapne.
ReplyDeletebitiya ko hamara pyar.
are waah.......
ReplyDeletekya baat he sushilji,,
"unhe kabhi maaloom bhi nahi hogaa
ki papa unke jaane se kitnaa yaad karte he.. "
bs yahi ham PAPA ki kamjori he janaab..jo vakai bahut pyaari he..
jaldi aaye aapki bitiyaa...
aour KISI KI BHI KABHI NAZAR NAA LAGE.
जब नींद आए तो झट से सो जाए
ReplyDeleteसोती हुई प्यारी नजर आए
बस यूँ ही देखते रहने को जी चाहे
ऐ ख़ुदा रहम करना
कहीं मेरी ही नजर ना लग जाए।
आपकी बच्ची को किसी की नज़र न लगे ....!!
आपकी पंक्तियों में बच्ची के प्रति असीम प्यार नज़र आ रहा है.....और जहां इतने प्यार करने वाले लोग हों वो बच्चे सौभाग्यशाली होते हैं ....!!
हम नन्हे फरिश्तो की कीमत समझते है हजूर....इसलिए कुछ नहीं कहेंगे...बस उम्मीद करेंगे आपका इंतज़ार ख़त्म हो....
ReplyDeleteआप ने बिटिया रानी की सारी बातें इस कविता में लिखी हैं..बहुत ही प्यारी बन गयी है यह कविता भी.
ReplyDelete[ऐ ख़ुदा रहम करना
कहीं मेरी ही नजर ना लग जाए।-आप का अथाह लगाव दर्शा रहा है--]ईश्वर करे किसी की भी बुरी नज़र न लगे.
बच्चे सच में बहुत प्यारे होते हैं उनके कारनामे भी..वह भी आप को मिस करती होगी.और नानी के घर से जल्द वापस आएगी ..फिर से रौनक हो जायेगी..
देर से पोस्ट पर पहुँचने हेतु क्षमा ..मैं समझ सकती हूँ जब घर पर कंप्यूटर /नेट गड़बड़ हो तो लगता है..कुछ मिस हो रहा है.उम्मीद है जल्द ही आप की नेट समस्या भी दूर हो जायेगी.
सुशील जी देर से पहुंचा...लेकिन पहुंचा और बेहद प्यारी राज दुलारी बिटिया से मिल लिया...बच्चे बहुत प्यारे होते हैं आपकी रचना पढ़ते वक्त मुझे "मिष्टी" याद आती रही...वो भी बिलकुल ऐसी ही हरकतें करती है...अभी मिल कर आ रहा हूँ जयपुर में उस से और उसके साथ बिताये लम्हों को बैठा याद करता रहता हूँ...
ReplyDeleteनीरज
achcha likha h aapne
ReplyDeleteसुशील भाई व्यस्तता
ReplyDeleteअच्छी लगती है
आपने तुकबंदी को भी
बंदी कहां रहने दिया
सबसे बांट लिया
बंदी को रिहा किया
विचारों को साझा किया
।
वैसे अवसर तो अच्छा था
पर नेट भी चुपके से सरक लिया
शायद इधर उधर किधर किधर
पर आप जरा न घबराएं
एमएस वर्ड में लिखें और
सुरक्षित यानी बंदी कर लें कंप्यूटर में
समय को यूं ही न उड़ जाने दें
और ताक में रहें
जब भी आए नेट
तुरंत कर दें पेस्ट या पोस्ट।
अपनी तनया याद हो आयी और मन भीग गया.....
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत
bilkul sahi kahaa aapne bina bchchon ke ghar ka ek kamra bhi bahut bada lagta hai bas abhi ke abhi uske paas chale jaye... :-)
ReplyDeleteishvar bitiya rani ko sabhi khushiyon se navaje.
aur agali baar jab wo nani ke yahaan jaye to apane bade se pitaji ko apane chote se baste me bhar kar le jaye...:-)
Very beautiful...
ReplyDeleteKeep it up..
~Jayant
इस नटखट के लिए मेरी ओर से ढेर सारा प्यार।
ReplyDelete----------
जादू की छड़ी चाहिए?
नाज्का रेखाएँ कौन सी बला हैं?
बेटिया बहुत प्यारी होती हैं ,उनके बिना वाकई घर बहुत सुना हो जाता हैं ,सुंदर कविता
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