"जब दो इंसान प्यार करते हैं। तो कभी भी बराबर प्यार नहीं करते। एक ज्यादा करता है। तो दूसरा उससे थोड़ा कम। और जो ज्यादा प्यार करता है। वह कमजोर होता है। और जो कम प्यार करता है वह ताकतवर होता हैं। और जो ज्यादा प्यार करता है। वह समझता है। और जो कम प्यार करता है। वह समझाता है।"
"इश्क और शादी कभी भी खाली और बिजी औरत से नहीं करनी चाहिए। क्योंकि खाली इतनी खाली होती कि वह कुछ करने नहीं देगी। और बिजी इतनी बिजी होती है। कि वह तुम्हें खुल्ला छोड़ देगी।"
एक नाट्क को फिर से देखने की इच्छा हुई तो ये पोस्ट करनी पड़ी। यह नाटक आता था सोनी चैनल पर। कई बार प्रसारित हुआ था। नाटक का नाम था "स्पर्श"। जिसे श्री रवि राय जी ( कृष्णा इमेज) ने बनाया था। जिसमें श्री इरफान खान, दिव्या सेठ, मृणाल कुलकर्णी, एक अदाकार और जो मैन रोल में थे नाम याद नही आ रहा। यह नाटक मुझे बहुत ही अच्छा लगा। मैं यह जानना चाहता हूँ कि वह नाटक इंटरनेट की दुनिया में कहाँ से मिल सकता है। जहाँ से उसे डाऊनलोड करके जब मन चाहे दुबारा देखा जा सके। जैसे यूटयूब पर तो पूरी की पूरी फिल्म ही मिल जाती है। वैसे मैने काफी सर्च मार कर देखा है। पर कहीं भी कोई आशा की किरण नजर नही आई। पर उम्मीद पर दुनिया कायम है और हम भी। देखते है कौन हमारी ख्वाहिश को पूरी करता हैं। और जो इंसान इस इच्छा को पूरी करेगा,उन्हें ज़ज़्बातों से भरी एक रचना इसी ब्लोग पर पढ़वाई जाऐगी।
नोट- ऊपर दी गई पंक्तियाँ "स्पर्श" नाटक से ली गई हैं। उन लेखक का नाम नही पता जिन्होने ये लिखी हैं पर उन्हें दिल से शुक्रिया। और साथ ही सोचा अगर उस नाटक में प्रयोग एक गाना "हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते" जोड़ दूँ तो यह पोस्ट सुरीली भी हो जाऐगी और मैं अपनी बात भी कह पाऊँगा। इसलिए यह गाना जोड़ दिया। यह गाना "मरासिम" एल्बम से है और YouTube से लिया गया है इस पोस्ट के लिए।तो यूटयूब का भी दिल से शुक्रिया।
..मकर सक्रांति की शुभ कामनाये ..नाटक अच्छा था यह पर आज यह पंक्तियाँ अजीब सी लगी पढने में :)
ReplyDeleteबहुत बढिया बात बताई आपने. कुछ ग्रहण करने वाला तथ्य कहीं से मिले ग्रहण कर लेना चाहिये.
ReplyDeleteआपका आभार इसे यहां बताने के लिये.
रामराम.
नाटक तो मैंने नहीं देखा। पर यह ग़ज़ल जरूर मुझे पसंद है। फ़िर सुनवाने का शुक्रिया।
ReplyDeleteलगता नही कोई हमारी इच्छा पूरी करेगा। खैर देखते है आगे ...। वैसे आशा की किरण नजर नही आ रही है।
ReplyDeleteसुशील जी
ReplyDeleteये सिरिअल वाकई बहुत अच्छा था, रिश्तों को बहुत गहरे से निभाता हुवा दिखाया गया था इस में. वाह.........आपने भी किन दिनों की याद ता करवा दी
गाने के लिये आपका और यूट्यूब दोनों का शुक्रिया.
ReplyDeleteआपकी रचनाधर्मिता का कायल हूँ. कभी हमारे सामूहिक प्रयास 'युवा' को भी देखें और अपनी प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करें !!
ReplyDeleteमकर सक्रांति की शुभकामनाये.
ReplyDeletejagjeet ji ki ghazal bahut pyari hai..bol bhi sachchey..sentimental kar dene wali..jiski awaaz mein salwat hon nighahon mein shikan---yah ghazal..Javed akhtar ki likhi hui hai--[jahan tak mujhey yaad hai]
yah natak yaad nahin aa raha..agar kahin poora mil payega to aap ko link bhej dungi.
arrey nahin yah Gulzar sahab ki likhi ghazal hai
ReplyDeleteसुशील जी नमस्कार
ReplyDeleteअजी, जैसा कि आपका सोचना है मैं तो आपकी इच्छा पूरी नहीं कर सकता. धन्यवाद
और हाँ, अगर आपको पता चले तो मुझे भी बता देना
"इश्क और शादी कभी भी खाली और बिजी औरत से नहीं करनी चाहिए।
ReplyDeleteअजी हम ने इशक किया ही नही, सीधी शादी कर ली, अब चाहे खुला छोडे या पल्लू से बांधे, हमे क्या, वेसे हम जिन्दगी को अपने ढंग से जीते है, इन नाटक वालो के ढंग से नही
आप कॊ मकर सक्रांति की शुभकामनाये.
धन्यवाद
नाटकों का प्रेमी हूँ लेकिन ये नाटक नहीं देखा....अब देखने की चाह जगा दी है आपने क्यूँ की इसके संवाद बहुत चुटीले हैं...चलो पता करते हैं...
ReplyDeleteनीरज
Very nice article, liked it.
ReplyDeleteGod bless
RC
सच है... हाथ छूटे तो भी रिश्ते नहीं छूटा करते...
ReplyDeleteआप इस नाटक के वीडियो शायद किसी प्लेनेट एम् या फ़िर सोनी चैनल से समपर्क कर सकते हैं...
मेरे ख्याल से मिल जन चाहिए...
--मीत
मकर सक्रांति की शुभकामनाये.
ReplyDeleteगज़ल बढ़िया लगी. आभार इस प्रस्तुति का.
आपको लोहडी और मकर संक्रान्ति की शुभकामनाएँ....
ReplyDeleteजब दो इंसान प्यार करते हैं। तो कभी भी बराबर प्यार नहीं करते। एक ज्यादा करता है। तो दूसरा उससे थोड़ा कम। और जो ज्यादा प्यार करता है। वह कमजोर होता है। और जो कम प्यार करता है वह ताकतवर होता हैं। और जो ज्यादा प्यार करता है। वह समझता है। और जो कम प्यार करता है। वह समझाता है।"
ReplyDeletekya baat hai.....!
susheel ji , maine ye tv show dekha hai .. aur mujhe bahut pasand tha.. uske teen main characters the.. aur mujhe ye gazal bhi bahut pasand thi ..
ReplyDeleteaapki is post ne kuch dil men asar kiya hai ... ab bahut jaldi " sparsh " title par kavita likhunga ..
waada raha
aapka
vijay
IRFAN KHAN ka mai vaise hi fan hun..tumne itni mehnat se is natak ko dhoondha ,vakai kaabile taareef hai.....pahle socha tumhare kisi dost ke falsafe hai jo sms me mile hai..par fir is natak ki mahatta bhi samjah aa gayi.....
ReplyDeletemarasim ka to khair javab nahi.
dekha to hamne bhi nahinsushil ji...albatta jagjit da ki gayi gazal bahut hi acchi hai....!!
ReplyDeleteउम्मीद पे दुनिया कायम है.....कभी तो लहर आएगी
ReplyDeleteउक्तियाँ तो बहुत अच्छी लगीं तो शायद नाटक भी अच्छा ही रहा होगा. मैंने देखा नहीं मगर ढूँढने की कोशिश करता हूँ. शायद सफलता मिले जाए.
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