वह कौन
वह नही पहनती सूट-सलवार
वह पहनती नीली जिंस जिस पर सफेद शर्ट।
वह नहीं चलती आँख झुका के
वह चलती सर उठा के।
वह नही माँगती चीजें सँवरने के लिए
वह माँगती एक हेयर बैंड बालों में लगाने के लिए।
वह नही बनाती सिर्फ सहेली
वह बनाती दोस्त भी।
वह नही बतयाती धीरे-धीरे
वह बतयाती खिलखिला के।
वह नही जाती फिल्में देखने
वह जाती नाटक देखने।
वह नही लिखती प्रेम भरी कविता
वह लिखती अपनी कहानी।
वह घर नहीं लौटती सूरज छीपने के पहले
वह घर लौटती चाँद निकलने के बाद।
वह कौन है? एक बोला
वह तेज है? दूसरा बोला
वह चालू है? तीसरा बोला
वह बदचलन हैं? चौथा बोला
वह अंवा-गार्द बिंदास हैं? पाँचवा बोला
वह एक इंसान हैं। छठा बोला
rachana sundar hai.par ladaki pata nhi..............
ReplyDeleteवो जानती है दुनिया में वो जीने के लिए आई है.. वो ज़िंदगी जीती है..
ReplyDeleteवह एक जिंदगी है जो जानती है कि उसको अपनी तरह से कैसे जीना है ..:) नई सी इबारत से सजी है यह रचना आपकी अच्छी लगी मुझे :)
ReplyDeleteपाँचों जायें भाड़ में आप तो ये बताओ कि ये लड़की रहती कहाँ है? दिल्ली में ऐसी लड़कियाँ मंडी हाउस इलाके में बहुत मिलती थीं मगर बंगलोर में नहीं… दुआ करो कि हर लड़की इस रंग में ढल सके। कविता सुंदर बन पड़ी है।
ReplyDeleteशुभम।
महेन जी की टिप्पणी पर ध्यान दिया जाए। वह कौन है यह महत्वपूर्ण नहीं है, वह है यही महत्वपूर्ण है।
ReplyDeleteघुघूती बासूती
sach se avgat kara diya apne...
ReplyDeletebahut acha likha hai..
keep it up
ये तो मेरी कई दोस्तों में से एक है......वैसे सफ़ेद शर्ट ओर जींस ...इससे बेहतर लिबास कोई नही....आपके लिखे में एक अनूठापन है.....बरकरार रखिये.....
ReplyDeleteकॉल सेन्टर वगैरह में कहीं काम करती होगी भाई-जीने दो उसे.काहे कयास लगा रहे हो.
ReplyDeleteZindgi jine ka ek tarika hai apne liye jina bhi to haq hai ladki ka
ReplyDeletelog kya kahte hain ye parvaah agar karti to kavi ki lekhan main kaha se aati
sushil ji achha laga aapki is anuthi kalpana se milna
बन्धुवर...ज़माना इन्हीं का है....उन्मुक्त जीना कोई इन्हीं से सीखे
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