tag:blogger.com,1999:blog-5916273053324539844.post3282424551966858489..comments2023-07-02T16:50:08.138+05:30Comments on तलाश: मर रही है मेरी भाषा शब्द शब्द- सुरजीत पातरसुशील छौक्कर http://www.blogger.com/profile/15272642681409272670noreply@blogger.comBlogger19125tag:blogger.com,1999:blog-5916273053324539844.post-56487670778825270992010-06-16T09:24:01.431+05:302010-06-16T09:24:01.431+05:30"जीता रहे मेरा बच्चा
मरती हैं तो मर जाए
तुम्ह..."जीता रहे मेरा बच्चा<br />मरती हैं तो मर जाए<br />तुम्हारी बूढ़ी भाषा"<br /><br />Kyaa bolaa hai Baap!!!<br />Bilkul item hai!! <br />:-))जयंत - समर शेषhttps://www.blogger.com/profile/13334653461188965082noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5916273053324539844.post-71426784565207428872010-04-25T00:20:45.310+05:302010-04-25T00:20:45.310+05:30सुरजीत पातर जी पंजाबी साहित्य के बड़े हस्ताक्षर है...सुरजीत पातर जी पंजाबी साहित्य के बड़े हस्ताक्षर हैं.उनकी अपनी शैली है, बात कहने की. उनकी रचनाएं पढ़वाने के लिए आपका बहुत बहुत आभार.Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5916273053324539844.post-23396657436896777042010-04-23T13:30:58.069+05:302010-04-23T13:30:58.069+05:30हम पागलों के लिए आपकी ये दावा काम कर गयी...बहुत ही...हम पागलों के लिए आपकी ये दावा काम कर गयी...बहुत ही खूबसूरत...बहुत ज्यादा पसंद आयीं सारी रचनाएँ .....:)abhihttps://www.blogger.com/profile/12954157755191063152noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5916273053324539844.post-27577728349824852642010-04-22T12:20:32.665+05:302010-04-22T12:20:32.665+05:30@नैना की शिकायत अभी तक दूर नहीं हुई?कोई नयी बात बत...@नैना की शिकायत अभी तक दूर नहीं हुई?कोई नयी बात बताओ नैना..नयी क्लास में क्या हुआ?कौन सी टीचर सब से अच्छी लगती हैं..कितनी सहेलियाँ बनी?Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5916273053324539844.post-77626995573147472322010-04-22T12:18:22.720+05:302010-04-22T12:18:22.720+05:30भाषा पर लिखी कविता कवि के ही नहीं ना जाने कितने दि...भाषा पर लिखी कविता कवि के ही नहीं ना जाने कितने दिलों की बात कह रही है.<br />सुरजीत पातर जी की लिखी सभी रचनाएँ बेहद पसंद आई.<br />ऐसे ही अपनी पसन्द की उम्दा रचनाएँ पढ़वाते रहीएगा.<br />abhaarAlpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5916273053324539844.post-89552917860254704652010-04-22T12:02:53.807+05:302010-04-22T12:02:53.807+05:30बस क्या कहूँ इसके लिए मैं... आपका शुक्रगुजार हूँ क...बस क्या कहूँ इसके लिए मैं... आपका शुक्रगुजार हूँ की आपने इन रचनाओ से हमें अवगत कराया...<br />आप पहले भी ऐसी बेहतरीन रचनाओ से मिलवाते रहें हैं... और उम्मीद है आगे भी परिचय करवाते रहेंगे..<br />@ नैना <br />नैना बिटिया आपने कितनी किताबे फाड़ी अबतक... मम्मी ने नहीं दी क्या... अरे कोई बात नहीं.. मम्मी को आप मन लो... दे ही देंगी...<br />मीतमीतhttps://www.blogger.com/profile/04299509220827485813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5916273053324539844.post-39562743164674442652010-04-22T09:48:42.672+05:302010-04-22T09:48:42.672+05:30Bahut Accha Prayas hai, rachna bahut acchi lagi aa...Bahut Accha Prayas hai, rachna bahut acchi lagi aapki... shubkamnayeSavita Ranahttps://www.blogger.com/profile/13559860623455287602noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5916273053324539844.post-42132845780827766832010-04-21T16:28:30.782+05:302010-04-21T16:28:30.782+05:30अनमोल रचनाएँ हैं...कुछ शब्द तो अन्दर तक गुदगुदा गए...अनमोल रचनाएँ हैं...कुछ शब्द तो अन्दर तक गुदगुदा गए...भूले बिसरे शब्द जो मेरी माँ दादी बोला करती थी...वो भाषा जिस के शब्द सुन कर रोआं रोआं खिल जाए कैसे मर सकती है भला?<br />बहुत बहुत शुक्रिया सुशील जी इन अद्भुत रचनाओं को पढवाने के लिए...देर से आया लेकिन देरी का मलाल नहीं रहा...इतना कुछ मिला यहाँ जो कहीं नहीं मिला....<br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5916273053324539844.post-13539781035081778882010-04-20T19:12:50.596+05:302010-04-20T19:12:50.596+05:30नहीं इस तरह नही मरेगी मेरी भाषा
इस तरह नहीं मरा कर...नहीं इस तरह नही मरेगी मेरी भाषा<br />इस तरह नहीं मरा करती कोई भाषा<br />कुछ शब्दों के मरने से<br />नहीं मरती कोई भाषा<br />रब नहीं तो न सही<br />सतगुरु इस के सहाई होगे<br />इसे बचाऐगे सूफी सँत फकीर<br />शायर<br />आशिक<br />नाबर<br />योद्धे<br />मेरे लोग, हम, आप<br />हम सब के मरने के बाअद ही<br />मरेगी हमारी भाषा...<br /><br /><br />सुरजीत जी की लेखनी के तो हम भी फैन हैं ......!!हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5916273053324539844.post-10408145740152879062010-04-19T20:28:22.785+05:302010-04-19T20:28:22.785+05:30सुंदर प्रस्तुतिसुंदर प्रस्तुतिजितेन्द़ भगतhttps://www.blogger.com/profile/05422231552073966726noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5916273053324539844.post-43795299964959736762010-04-19T19:05:48.317+05:302010-04-19T19:05:48.317+05:30बहुत ही सशक्त, शुभकामनाएं.
रामरामबहुत ही सशक्त, शुभकामनाएं.<br /><br />रामरामताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5916273053324539844.post-81444341848210720862010-04-19T17:58:30.660+05:302010-04-19T17:58:30.660+05:30पीड़ा को मुखरित करती बेहतरीन कविता. आभार आपका.पीड़ा को मुखरित करती बेहतरीन कविता. आभार आपका.वन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5916273053324539844.post-43266557177280783392010-04-19T14:04:23.962+05:302010-04-19T14:04:23.962+05:30दिल को छू लेने वाले भाव। अफसोस होता है जब अपनी ही ...दिल को छू लेने वाले भाव। अफसोस होता है जब अपनी ही भाषा से विमुख लोगों से मिलते है। रोज़मर्रा में भी जिन्हें इसे बोलने में कष्ट होता है ऐसे में भाषा के प्रति संवेदनशीलता तारीफेकाबिल है।anuradha srivastavhttps://www.blogger.com/profile/15152294502770313523noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5916273053324539844.post-86225830058713284782010-04-19T13:48:25.135+05:302010-04-19T13:48:25.135+05:30बहुत सुंदर ढंग से आप ने हम सब के दिल का दर्द इस ले...बहुत सुंदर ढंग से आप ने हम सब के दिल का दर्द इस लेख मै लिखा है, हम जिस देश मै रहते है, जिस भाषा मै जन्मे पले उस भाषा से बहुत प्यार हो जाता है, जब कोई उसे खराब करे तो दुख होता है.वो भाषा ही हमारी पहचान होती है<br />धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5916273053324539844.post-43027502247435527782010-04-19T12:20:56.712+05:302010-04-19T12:20:56.712+05:30बहुत बढ़िया ....शुक्रिया इसको यहाँ पोस्ट करने का ....बहुत बढ़िया ....शुक्रिया इसको यहाँ पोस्ट करने का ...हर लफ्ज़ सच्चा हैरंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5916273053324539844.post-18860917559699674252010-04-19T11:17:36.057+05:302010-04-19T11:17:36.057+05:30बेहतरीन्………………शानदार्…………………दिल का सारा दर्द उतर आ...बेहतरीन्………………शानदार्…………………दिल का सारा दर्द उतर आया है।<br /><br />नैना<br />मम्मी को कहो आपको किताबें दे दें नही तो पापा से शिकायत कर देना…………हा हा हा।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5916273053324539844.post-35165010484800208172010-04-19T10:57:33.036+05:302010-04-19T10:57:33.036+05:30यक़ीनन एक बेहतरीन आदमी के दिल से निकली एक पीड़ा कवित...यक़ीनन एक बेहतरीन आदमी के दिल से निकली एक पीड़ा कविता के रूप में बाहर आयी है .पहली कविता अच्छी लगीडॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5916273053324539844.post-74439115393095859092010-04-19T10:50:00.177+05:302010-04-19T10:50:00.177+05:30अनुनाद सिंह जी आपकी राय का महत्व समझते हुए उसे बदल...अनुनाद सिंह जी आपकी राय का महत्व समझते हुए उसे बदल दिया गया। इस बात का टाईप करते वक्त ध्यान ही नही गया। शुक्रिया आपका। वैसे रचना कैसी लगी आपको?सुशील छौक्कर https://www.blogger.com/profile/15272642681409272670noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5916273053324539844.post-79256569698540598252010-04-19T10:40:19.201+05:302010-04-19T10:40:19.201+05:30भारतीय भाषाओं को बचाने के उपायों में एक उपाय यह भी...भारतीय भाषाओं को बचाने के उपायों में एक उपाय यह भी है कि जिस चीज को अपनी भाषा और लिपि में लिखा जा सकता हो उसे अंग्रेजी भाषा और लिपि में न लिखा जाय बल्कि अपनी भाषा/लिपि में लिख जाय।<br /><br />"FOUNDATION OF SAARC WRITERS AND LITERATURE" को 'फॉउन्डेशन ऑफ सार्क राइटर्स ऐण्ड लिटरेचर' लिखना अधिक श्रेयस्कर होता (खासकर आप जैसे आदमी के लिये)<br /><br />और इसका पूर्णत हिन्दीकरण करके भी लिखा जा सकता था। वह भी बेहतर होता।<br /><br />हम यह क्यों सोचते हैं कि हिन्दी के पाठक को रोमन और अंग्रेजी आना जरूरी है।अनुनाद सिंहhttps://www.blogger.com/profile/05634421007709892634noreply@blogger.com