Wednesday, August 19, 2009

दो बीघा का किसान

किसान

मैं दो बीघा का किसान
पालता तीन मवेशी, पाँच इंसान
एक कच्चा मकान टूटा सा
जिसमें खड़ा एक पेड़ बुढ्ढा सा
रामजी हमारे रुठे है
खेत हमारे सूखे है
कुएँ सूखने लगे
चूल्हे बुझने लगे
चारा खत्म
दाना खत्म
पेट उधारी से भरता है
पंसारी रोज तगादा करता है
पत्नी यह देख रोती है
बच्चों की जबान सोती है
फटी धोती, टूटी जूती में मेरी टाँगे
सूखे खेत का रुख करती हैं
धोक लगाकर अपने देवताओं की
मैं बस यही पुकार करता हूँ
रामजी अगर तुम बरस जाओ
खेत हमारे जी जाऐगे
फसल हमारी खिल जाऐगी
कर्ज की गठरी उतर जाऐगी
सपनो की पतंग आसमान छू जाऐगी

अमिताभ जी रोज कहते कुछ लिखो यार तो जी हाजिर है आपके लिए।

Monday, August 10, 2009

बेटी की बातें

बिल्ली दौड़ चूहा आया

साथियों नैना बेटी ने मेरा नया नाम बिल्ली ही रख दिया है। जब भी मेरे साथ खेलती है बस बिल्ली ही पुकारती है। बिल्ली अब दूसरा गेम खेलते है। बिल्ली अब चीडिया उड़ी,भैंस उड़ी खेलते है। बिल्ली अब चूहा दोड़ बिल्ली आई खेलते है ..........। जैसे ही खेल कर खत्म फिर से वही पापा जी। अजी मेरा नाम ही नही उसने तो अपने चाचा का नाम भी मीना रख दिया है। एक दिन शाम को जब आया तो देखा नैना अपने चाचा को बुढढा( उनके बाल अभी से सफेद होने लगे है) कह रही थी मैंने कहा "बेटा ऐसे नही कहते वो आपके चाचा है।" कहने लगी "पापा जी जब वो मेरे को मोटी बोलेगे तो क्या मैं बुढ्ढा ना बोलूँ। अगर वो मुझे नैना जी कहेंगे तो मैं भी उन्हें चाचा जी बोलूँगी।" खैर उनकी ये लड़ाई ऐसे ही चलती रहती है। जिस बचपन को हम जिदंग़ी की गलियों में भूल जाते है उसे हम अपने बच्चों के बचपन में देखते है। कुछ ऐसा ही है हो रहा है आजकल। उसकी छोटी छोटी बातें, शरारतें, जिद सब देखता सुनता हूँ। कभी देखकर हँसता हूँ। कभी गुस्सा भी हो जाता हूँ। और कभी भावुक हो जाता हूँ। और फिर अपने बचपन को याद करने की कोशिश करता हूँ तो बस दो यादें ही आँखो के पर्दे पर चलती है नर्सरी क्लास की। एक हम बच्चों को खूब सारे बिस्कुट खाने को मिलते थे। दूसरी एक दिन मै पापा जी की घंडी बाँध कर चला गया। मैडम ने देख लिया और घड़ी उतार ली। फिर जो मार पड़ी मम्मी से बस पूछो नही। बस इन दो यादों के अलावा कुछ याद नहीं। पर मैं इसकी खूब सारी यादें संजोकर रख लेना चाहता हूँ। जिस दिन स्कूल गई सब खुश थे क्योंकि घर में और बच्चें नही है और नैना बच्चों के साथ खेलने के लिए कई बार रोती है। कोई बच्चा अगर हमारे घर किसी काम से आ जाए तो समझो उसे वह नही जाने देती है। हमको इस बात की तसल्ली है कि इस बहाने कम से कम बच्चों के संग खूब खेल सकेगी। उनसे खूब सारी बातें भी कर सकेगी। उसकी मासूम सी बातें मेरे दिल को छू जाती है। एक दिन तबीयत ठीक नही थी मैं लेटा हुआ था वो आई और कहने लगी "पापा जी ये लो चने खा लो" मैंने कहा "बेटी मैं बाद में खा लूँगा मेरी तबीयत ठीक है थोडी देर सोने दो" और चने रखकर मेरे पैरों के पास रखी चदर को मुझे उढ़ाने की कोशिश करने लगी। पर मैने कहा बेटी रहने दो मैं खुद ही ओढ लूँगा। यह देख आँखे भर आई। ऐसे ही काफी दिनों पहले मैं पी सी पर बैठा कुछ काम कर रहा था। उसे बेड पर रखा केला नजर आ गया वह उसे उठाकर छीलने लगी। अक्सर उससे केला छिलता नही था पर उस दिन उसने वह केला छील दिया तो मेरे पास आकर बहुत खुश होकर बोली "पापा जी मैंने केला छील दिया मैं बड़ी हो गई।" देखो जिदंगी कैसी है हम बच्चें होना चाहते है और बच्चें बड़े होना चाहते है। सच वो अब बड़ी हो गई है दादी माँ सी बातें करने लगी है। एक दिन इसका चाचा इसके लिए छोटा सा केक ले आया तो मैंने कहा "बेटी मुझे भी दे दो" तो कहने लगी "इसे बड़े नही खाते बच्चें खाते है" और जल्दी जल्दी सारा केक खा गई। जब से स्कूल जाने लगी है मैडम भी हो गई है। अपनी मम्मी से कहती है "मैं मैडम हूँ बताओ ऐ फोर क्या होता है। उसकी मम्मी बोलेगी ऐ फोर आलू होता है।" फिर नैना बोलेगी "अरे बुद्धु ये भी नही आता ऐ फोर एप्पल होता है।" ऐसे ही वो हम सबको पढ़ाती फिरती है। स्कूल जाने के दो तीन बाद उसे छोटे छोटे बाल गीत याद होने लगे। फिर क्या हर रोज एक नया बाल गीत सुनाती है हम सबको। पर सबसे पहले वह अपनी पसंद के दो बाल गीत सुनाती है फिर बाकी के बाद में। तो लीजिए आप भी पढ़िए उसकी पसंद के दो बाल गीत।












बन्दर मामा
देखो आये बन्दर मामा,
कुर्ता ढीला तंग पजामा।
ठुमक-ठुमक कर नाच दिखाते,
माँग-माँग कर पैसे लाते।

चन्दा के घर जाऐगी गुड़िया
चन्दा के घर जायेगी गुड़िया
दूध मलाई खायेगी गुड़िया,
ब्यूटीफुल बन जायेगी गुड़िया।
तारों के संग आयेगा दूल्हा,
चन्दा के घर जायेगी गुड़िया।

सच एक दिन नैना ऐसे ही हँसती खेलती हुई अपने चंदा के घर चली जाऐगी अपने बाबुल का घर छोड़कर। और हमारे पास बस उसकी यादें रह जाऐगी कभी खूब हँसाने के लिए, कभी उसकी याद दिलाने के लिए और कभी क्या अक्सर रुलाने के लिए। इससे पहले कि मेरी आँखे बोलने लगे जल्दी से उसकी एक पहेली का जवाब दीजिए जो वो मेरे से अक्सर पूछती रहती है और उसकी माँ उसे बताती रहती है।
"कटोरे में कटोरा बेटा बाप से भी गौरा" बताओ बताओ जल्दी से सोच कर बताओ। हम चले।

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