Thursday, September 24, 2009

एक सूचना आप सभी साथियों को।

"जिदंगी के रंग"
 जब जान लेती थकान के बाद भी आपको नींद ना आए तो ख्याल जरुर आ जाते हैं। और इन्हीं ख्यालों की गलियों में आवारागर्दी करते हुए आप कब सो जाते है पता ही नहीं चलता। इन्हीं गलियों में पिछले दिनों मुझे एक ख्याल मिला जिससे मिलकर बहुत ही अच्छा लगा। फिर सोचा आप साथियों से भी साँझा कर लूँ। हमारी जिदंगी के चारों तरफ पता नही कितने रंग बिखरे हुए है। बस उन्हीं रंगो में से तीन रंगों को मिलाकर एक रंगीन पोस्ट बनाई जाऐगी। पहला रंग होगा संघर्ष का, दूसरा रंग हँसी का, और तीसरा रंग साहित्य का।
                                          पहला रंग होगा संघर्ष का।

हम सब की जिदंगी में संघर्ष ही संघर्ष है। बस इन्ही संघर्षों में से किसी एक संघर्ष का वर्णन होगा जिसको हम आज भी याद करते है। और वही संघर्ष किसी ना किसी के लिए प्ररेणा स्त्रोत बन जाते है इंसानी संघर्ष के दिनों में। और इंसान मुशीबत के सामने उससे मुकाबला करने के लिए फौलादी दीवार की तरह खड़ा हो जाता है। 




                                                     
दूसरा रंग होगा हँसी का

हम सब की जिदंगी में कभी ऐसा क्षण भी आता है जब  हमारे साथ घटी किसी घटना पर हम सब हँसे हो और आज भी याद करके हमको हँसी आती हो। वही हँसी हम सब ब्लोगर साथियों के चेहरे पर भी आ जाए। और हम सब पेट पकड़कर खूब हँसे।  



अब तीसरा रंग साहित्य का।
हम सब पढ़ते है और जो अच्छा लगता है उसे दिमाग के किसी कोने में रख देते है। और जब कभी कुछ पल खाली मिलते है तो उनसे मुलाकात करते है। कभी कभी साँझा कर लेते हैं किसी के सामने। चाहे वो कोई सूक्ति हो, चाहे वो किसी कविता की चार लाइनें हो, या फिर किसी कहानी और उपन्यास का एक डायलाग।
ओड़क ता टूट जाणे, सारे रिश्ते नाते।
फेर क्यों न बणा, अम्बर दा तारा टूंटा? 
                                 श्री चरणदास सिंधू


हर सोमवार को किसी ना किसी ब्लोगर के दिल और दिमाग से मुलाकात की जाऐगी और आप साथियों के सामने पेश की जाऐगी। पोस्ट का टाईटल होगा "जिदंगी के रंग" अब बताईए साथियों कैसा लगा ये ख्याल। आप सभी साथी अपनी अपनी राय से जरुर अवगत कराए । और ऊपर के फोटो अमिताभ जी की पोटली में से चुराए गए हैं।

25 comments:

विनोद कुमार पांडेय said...

बहुत सुंदर विचार..जिंदगी के रंग बहुत अच्छे ढंग से प्रस्तुत किया आपने..बधाई

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

बहुत उत्तम विचार है, गंगा-जमना- सरस्वती के संगम पर यदा कदा हम भी नहा लिया करेंगे !

अविनाश वाचस्पति said...

सुशील जी सुंदर आइडिया

पर सच बतलाना कहां से आया

सोते हुए

तब तो आप सो गए होगे

जगते हुए

तो आइडिया ऐसे ही नहीं आ जाते

बतलाना होगा

आइडिया कैसे आते हैं


पर यह आइडिया
अवश्‍य सुपर डुपर हिट होगा

लोग करेंगे

जब ब्‍लॉग तलाश

तो मिलेंगे ऐसे व्‍यक्तित्‍व

जिनसे मिलकर मिलेगा उल्‍लास

शाबास सुशील भाई छौक्‍कर शाबास।

मीत said...

ख्याल तो दुरुस्त है..
पर लगता सुस्त है...
अरे सुस्त इसलिए की आपने इतना बढ़िया ख्याल पहले क्यों नहीं सोचा...
बताइए....जरा....
मीत

Creative Manch said...

"जिदंगी के रंग, सुशील जी के संग"
बहुत बढ़िया ख्याल है
कुछ न कुछ सकारात्मक एवं सृजनात्मक चीजें ब्लॉग दुनिया में चलती रहनी चाहिए
मैं स्वागत करता हूँ आपकी पहल का !

क्रियेटिव मंच

vandana gupta said...

behtreen khyal hai............ab to roj naye naye rangon se mulaqat hogi.

कुश said...

उम्दा ख्याल है और रचनात्मक भी है.. खास बात है किसी की नक़ल नहीं की गयी है..

नीरज गोस्वामी said...

इस बेहतरीन ख्याल के पूरे होने का बेताबी से इंतज़ार है...फोटो और साथ लिखा वर्णन बहुत दिलचस्प लगा...
नीरज

रविकांत पाण्डेय said...

ख्याल पसंदा आया। इंतज़ार है सोमवार का।

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत बढिया आईडिया है.

रामराम.

राज भाटिय़ा said...

बहुत सुंदर आडिया. धन्यवाद

रंजू भाटिया said...

वट एन आइडिया सर जी :) अच्छा ख्याल है यह ..

Gyan Darpan said...

ख्याल तो बहुत बढ़िया है |

M VERMA said...

बहुत उम्दा खयाल है. खयाल व्यक्त करने का अन्दाज़ तो बहुत उम्दा है.

राजीव तनेजा said...

आईडिया ज़रा हट के है

नीरज मुसाफ़िर said...

अजी ये बताओ कि मेट्रो वाली पोस्ट कब छापोगे?
आइडिये का स्वागत है

डॉ .अनुराग said...

विचार अच्छा है .जमे रहिये

अनिल कान्त said...

बहुत अच्छे विचार हैं भाई जान...और आपके ये तीन रंग भी हमें खूब भाए....हमें इंतजार रहेगा

महेन्द्र मिश्र said...

विचार अच्छा है...

Alpana Verma said...

वाह ! बहुत बढ़िया ख्याल है यह तो..आप की पोस्ट का ही नहीं ..ब्लॉग के रंग भी निखरे लग रहे हैं..
और हाँ नैना को ढेर सारी शुभकामनयें उसके हिंदी के इम्तिहान जो हैं....अ से अनार ,आ से आम!खूब मन लगा कर पढाई करना!

महेन said...

Great thought... Hope this is introspective as well as retrospective!

PD said...

Aap aage badhiye.. ham padhne ko taiyar baithe hain..

Udan Tashtari said...

बहुत बढ़िया विचार!!

हरकीरत ' हीर' said...

नेक विचार है ....इससे ब्लोगरों के उत्साह में भी वर्धन होगा .....!!

vijay kumar sappatti said...

bahut sahi start hai ..isse bloggers ke jeevan ke baare me hum sabko pata chalenga .. aur sab ka hausla bhi badenga...

bahut dil se badhai ..

vijay

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