Monday, February 23, 2009

उठो बाबा

उठो बाबा

अब नहीं पूछूँगी
मेरी मम्मी कहाँ हैं ?
मेरे पापा कहाँ हैं ?
सबके तो हैं, मेरे कहाँ हैं ?
उठो बाबा।

अब कौन प्यारी आवाज लगा सुबह उठाऐगा ?
अब कौन बस्ता लेकर स्कूल छोड़कर आऐगा ?
अब कौन गोल गोल रोटी बना खिलाऐगा ?
अब कौन कहानी सुनाकर नींद को बुलाऐगा ?
उठो बाबा।

तुम कहते थे "तेरे बाप की याद आती हैं,
खुद चला गया मुझे जवान बनाकर"
क्या तुमको हमारी याद नहीं आऐगी ?
हमको यूँ बेसहारा छोड़कर
उठो बाबा।

तुम कहते थे "दुकान पर बैठा कर"
मैं कहती थी "अच्छा नहीं लगता"
अब मैं तुम्हें कुर्सी पर ऊँघने नहीं दूँगी
दुकान चलाकर खूब पैसा कमाऊँगी
उठो बाबा............................



37 comments:

Udan Tashtari said...

बहुत उम्दा रचना..आभार प्रस्तुति का.

कुश said...

नमी ले आए आप तो आँखो में...

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत मार्मिक रचना.

रामराम.

रंजू भाटिया said...

रुला दिया आपने तो सुबह सुबह बहुत ही मार्मिक भावुक कर देने वाली रचना है

दिगम्बर नासवा said...

बहुत गहरी, मन को छूने वाली, मार्मिक कविता
मेरे पास शब्द नही हैं इस के लिए
स्तब्ध रह गया पढने के बाद, बहुत ही वेदना से भरी कविता

महेन्द्र मिश्र said...

वेदना से भरी बहुत उम्दा रचना कविता..

मीत said...

बहुत सुंदर लिखा है... कुछ लोग इस तरह का दुःख अपने सीने में लिए ही दुनिया से विदा हो जाते हैं... आपने उन लोगो के दुःख से सबको परिचित कराया है इस रचना के जरिये...
बहुत सुंदर...
मीत

Mohinder56 said...

मार्मिक भाव विभोर कर देने वाली रचना... आभार

vandana gupta said...

bahut hi marmik rachna............zamane bhar ke dard ko samet diya hai.

इष्ट देव सांकृत्यायन said...

अच्छी भावपूर्ण रचना है.

राज भाटिय़ा said...

बहुत ही मार्मिक भाव लिये है आप की यह कविता.
धन्यवाद

Puja Upadhyay said...

marmik rachna hai.

Puja Upadhyay said...

marmik rachna hai.

bhuvnesh sharma said...

एकदम आसान से शब्‍दों में आपने सब कह दिया...इसे कहते हैं कविता

हरकीरत ' हीर' said...

अब कौन प्यारी आवाज लगा सुबह उठाऐगा ?
अब कौन बस्ता लेकर स्कूल छोड़कर आऐगा ?
अब कौन गोल गोल रोटी बना खिलाऐगा ?
अब कौन कहानी सुनाकर नींद को बुलाऐगा ?

komal mun ki bhavnaon ko bkhubi utar diya hai aapne....!!

नीरज गोस्वामी said...

बहुत ही मर्म स्पर्शी रचना...

नीरज

डॉ .अनुराग said...

काहे लिखते हो ये सब यार ..मुश्किल होती है....सच देखने पढने में ....

राजीव तनेजा said...

मार्मिक...दिल को छू लेने वाली रचना

hem pandey said...

मार्मिक कविता.

Alpana Verma said...

सुशील जी,आप की यह बोलती कविता मन को छू गई.
[रुला जाती हैं ऐसी कवितायें.]

seema gupta said...

तुम कहते थे "तेरे बाप की याद आती हैं,
खुद चला गया मुझे जवान बनाकर"
क्या तुमको हमारी याद नहीं आऐगी ?
हमको यूँ बेसहारा छोड़कर
उठो बाबा।
" मासूम सी आवाज अपने बाबा को पुकारती.....आंसू से बिलखती...मगर नन्ही जान क्या जाने की बाबा अब नही आयेंगे......नही सुन पाएंगे उसकी सिसकियाँ और उसका करूं रुदन......उफ़.... कितनी व्यथा है इन पंक्तियों मे......क्यूँ जाने वाले इतना दर्द दे जातें हैं.......क्यूँ.....व्याकुल क्र गये मन को ये शब्द.."

Regards

tarun said...

bahut hi achhi rachna hai sushil ji

-tarun

Anonymous said...

आपके ब्‍लाग पर आकर दिक्‍कत हुई दिल-दिमाग को। सोच कर आया था कि आज आपकी रचनाएं इत्‍मीनान से पढूंगा लेकिन इस दरिया के कुछ बूंदों ने ही आगे कुछ पढ़ने लायक नहीं छोड़ा।....लौटकर फिर कभी आउंगा बाबा!

अमिताभ श्रीवास्तव said...

bahut jyada marmsparshi kavita he..
nai kavita ki yahi ek visheshta hoti he ki usme arth apne unmukt bhaavo se nrutya karte dikhte he..esa nruty jo pooti tarah hindustaani he..bahut khoob..maza aagaya padh kar..
kyaa tippani du, kai tippanikaaro ne apni baat kah di..sabko milaa kar jo me dena chahta hu vo yah ki
laazavaab........

Dev said...

कितना सुंदर लिखती हैं आप..बहुत सुंदर भाव..बहुत अच्‍छा लगता है पढने पर।
शुभकामनाएं........ढेरो बधाई कुबूल करें....

समयचक्र said...

बहुत सुंदर भाव बधाई.

Science Bloggers Association said...

मर्म स्पर्शी कविता कही है आपने। किसी का भी दिल भर आएगा इसे पढकर।

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

बहुत ही भावपूर्ण कविता...........

admin said...

दिल को छू गयी आपकी रचना। बधाई।

sandhyagupta said...

Sanvedanheen hote ja rahe is samay me aapki kavita ne gahraiyon tak asar choda.

pallavi trivedi said...

क्या कहू....सचमुच आँख भर आई!

Girindra Nath Jha/ गिरीन्द्र नाथ झा said...

मैं जल्दी भावुक नहीं होता, लेकिन आपने तो बना दिया..बस जी..

योगेन्द्र मौदगिल said...

वाह.... बेहतरीन भावाभिव्यक्ति... बधाई स्वीकारें

अनिल कान्त said...

बहुत ही मार्मिक पोस्ट ...दिल भर आया

मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति

अविनाश वाचस्पति said...

पापा का बतला कर

आपने विभोर कर

दिया, मम्‍मी का

कब बतलाओगे

भोर के बाद

दूसरी कविता में।

जिज्ञासा जगाकर

छोड़ दिया है।

vijay kumar sappatti said...

Susheel ji

sorry for late arrival , i was on tour.

maine aapse kaha bhi tha ki is nazm ne bahut udaas kar diya hai .. zindagi ki kuch yaaden bus hamesha dil ko tees pahunchati hai ..

aapka
vijay

main bhi kuch likha hai , jarur padhiyenga pls : www.poemsofvijay.blogspot.com

Bahadur Patel said...

आपको और आपके परिवार को होली मुबारक

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