Wednesday, January 14, 2009

"हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते"

"जिंदगी एक पढ़ाई की तरह हैं। जहाँ खुद ही पढ़ना पड़ता हैं। खुद ही समझना पड़ता हैं। और हमेशा फर्स्ट आना होता हैं।"



"जब दो इंसान प्यार करते हैं। तो कभी भी बराबर प्यार नहीं करते। एक ज्यादा करता है। तो दूसरा उससे थोड़ा कम। और जो ज्यादा प्यार करता है। वह कमजोर होता है। और जो कम प्यार करता है वह ताकतवर होता हैं। और जो ज्यादा प्यार करता है। वह समझता है। और जो कम प्यार करता है। वह समझाता है।"




"इश्क और शादी कभी भी खाली और बिजी औरत से नहीं करनी चाहिए। क्योंकि खाली इतनी खाली होती कि वह कुछ करने नहीं देगी। और बिजी इतनी बिजी होती है। कि वह तुम्हें खुल्ला छोड़ देगी।"
एक नाट्क को फिर से देखने की इच्छा हुई तो ये पोस्ट करनी पड़ी। यह नाटक आता था सोनी चैनल पर। कई बार प्रसारित हुआ था। नाटक का नाम था "स्पर्श"। जिसे श्री रवि राय जी ( कृष्णा इमेज) ने बनाया था। जिसमें श्री इरफान खान, दिव्या सेठ, मृणाल कुलकर्णी, एक अदाकार और जो मैन रोल में थे नाम याद नही आ रहा। यह नाटक मुझे बहुत ही अच्छा लगा। मैं यह जानना चाहता हूँ कि वह नाटक इंटरनेट की दुनिया में कहाँ से मिल सकता है। जहाँ से उसे डाऊनलोड करके जब मन चाहे दुबारा देखा जा सके। जैसे यूटयूब पर तो पूरी की पूरी फिल्म ही मिल जाती है। वैसे मैने काफी सर्च मार कर देखा है।  पर कहीं भी कोई आशा की किरण नजर नही आई। पर उम्मीद पर दुनिया कायम है और हम भी। देखते है कौन हमारी ख्वाहिश को पूरी करता हैं। और जो इंसान इस इच्छा को पूरी करेगा,उन्हें ज़ज़्बातों से भरी एक रचना इसी ब्लोग पर पढ़वाई जाऐगी।

नोट- ऊपर दी गई पंक्तियाँ "स्पर्श" नाटक से ली गई हैं। उन लेखक का नाम नही पता जिन्होने ये लिखी हैं पर उन्हें दिल से शुक्रिया। और साथ ही सोचा अगर उस नाटक में प्रयोग एक गाना "हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते" जोड़ दूँ तो यह पोस्ट सुरीली भी हो जाऐगी और मैं अपनी बात भी कह पाऊँगा। इसलिए यह गाना जोड़ दिया। यह गाना "मरासिम" एल्बम से है और YouTube से लिया गया है इस पोस्ट के लिए।तो यूटयूब का भी दिल से शुक्रिया। 

22 comments:

रंजू भाटिया said...

..मकर सक्रांति की शुभ कामनाये ..नाटक अच्छा था यह पर आज यह पंक्तियाँ अजीब सी लगी पढने में :)

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत बढिया बात बताई आपने. कुछ ग्रहण करने वाला तथ्य कहीं से मिले ग्रहण कर लेना चाहिये.
आपका आभार इसे यहां बताने के लिये.

रामराम.

एस. बी. सिंह said...

नाटक तो मैंने नहीं देखा। पर यह ग़ज़ल जरूर मुझे पसंद है। फ़िर सुनवाने का शुक्रिया।

सुशील छौक्कर said...

लगता नही कोई हमारी इच्छा पूरी करेगा। खैर देखते है आगे ...। वैसे आशा की किरण नजर नही आ रही है।

दिगम्बर नासवा said...

सुशील जी
ये सिरिअल वाकई बहुत अच्छा था, रिश्तों को बहुत गहरे से निभाता हुवा दिखाया गया था इस में. वाह.........आपने भी किन दिनों की याद ता करवा दी

Himanshu Pandey said...

गाने के लिये आपका और यूट्यूब दोनों का शुक्रिया.

Amit Kumar Yadav said...

आपकी रचनाधर्मिता का कायल हूँ. कभी हमारे सामूहिक प्रयास 'युवा' को भी देखें और अपनी प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करें !!

Alpana Verma said...

मकर सक्रांति की शुभकामनाये.

jagjeet ji ki ghazal bahut pyari hai..bol bhi sachchey..sentimental kar dene wali..jiski awaaz mein salwat hon nighahon mein shikan---yah ghazal..Javed akhtar ki likhi hui hai--[jahan tak mujhey yaad hai]

yah natak yaad nahin aa raha..agar kahin poora mil payega to aap ko link bhej dungi.

Alpana Verma said...

arrey nahin yah Gulzar sahab ki likhi ghazal hai

नीरज मुसाफ़िर said...

सुशील जी नमस्कार
अजी, जैसा कि आपका सोचना है मैं तो आपकी इच्छा पूरी नहीं कर सकता. धन्यवाद
और हाँ, अगर आपको पता चले तो मुझे भी बता देना

राज भाटिय़ा said...

"इश्क और शादी कभी भी खाली और बिजी औरत से नहीं करनी चाहिए।
अजी हम ने इशक किया ही नही, सीधी शादी कर ली, अब चाहे खुला छोडे या पल्लू से बांधे, हमे क्या, वेसे हम जिन्दगी को अपने ढंग से जीते है, इन नाटक वालो के ढंग से नही
आप कॊ मकर सक्रांति की शुभकामनाये.
धन्यवाद

नीरज गोस्वामी said...

नाटकों का प्रेमी हूँ लेकिन ये नाटक नहीं देखा....अब देखने की चाह जगा दी है आपने क्यूँ की इसके संवाद बहुत चुटीले हैं...चलो पता करते हैं...
नीरज

Straight Bend said...

Very nice article, liked it.

God bless
RC

मीत said...

सच है... हाथ छूटे तो भी रिश्ते नहीं छूटा करते...
आप इस नाटक के वीडियो शायद किसी प्लेनेट एम् या फ़िर सोनी चैनल से समपर्क कर सकते हैं...
मेरे ख्याल से मिल जन चाहिए...
--मीत

Udan Tashtari said...

मकर सक्रांति की शुभकामनाये.

गज़ल बढ़िया लगी. आभार इस प्रस्तुति का.

Dev said...

आपको लोहडी और मकर संक्रान्ति की शुभकामनाएँ....

कंचन सिंह चौहान said...

जब दो इंसान प्यार करते हैं। तो कभी भी बराबर प्यार नहीं करते। एक ज्यादा करता है। तो दूसरा उससे थोड़ा कम। और जो ज्यादा प्यार करता है। वह कमजोर होता है। और जो कम प्यार करता है वह ताकतवर होता हैं। और जो ज्यादा प्यार करता है। वह समझता है। और जो कम प्यार करता है। वह समझाता है।"


kya baat hai.....!

vijay kumar sappatti said...

susheel ji , maine ye tv show dekha hai .. aur mujhe bahut pasand tha.. uske teen main characters the.. aur mujhe ye gazal bhi bahut pasand thi ..

aapki is post ne kuch dil men asar kiya hai ... ab bahut jaldi " sparsh " title par kavita likhunga ..

waada raha

aapka

vijay

डॉ .अनुराग said...

IRFAN KHAN ka mai vaise hi fan hun..tumne itni mehnat se is natak ko dhoondha ,vakai kaabile taareef hai.....pahle socha tumhare kisi dost ke falsafe hai jo sms me mile hai..par fir is natak ki mahatta bhi samjah aa gayi.....
marasim ka to khair javab nahi.

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

dekha to hamne bhi nahinsushil ji...albatta jagjit da ki gayi gazal bahut hi acchi hai....!!

राजीव तनेजा said...

उम्मीद पे दुनिया कायम है.....कभी तो लहर आएगी

महेन said...

उक्तियाँ तो बहुत अच्छी लगीं तो शायद नाटक भी अच्छा ही रहा होगा. मैंने देखा नहीं मगर ढूँढने की कोशिश करता हूँ. शायद सफलता मिले जाए.

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