Saturday, December 27, 2008

बस स्टैड़ वाली लड़की

lodhigardenbusstopvj9
रोज सुबह मैं बस पकड़ता था
मोरी गेट के बस स्टैंड से अपनी लाइब्रेरी जाने को
तुम भी बस पकड़ती थी अपने ऑफिस जाने को
हर सुबह नौ बजकर बीस मिनट पर।
इससे पहले मेरी आँखे तुम्हें तलाशती इधर- उधर
तुम्हारी एक झलक पाने को।
कभी- कभी तुम दिखती नही
तब रह-रह कर तुम्हारी याद आती थी।
वो तुम्हारा सुंदर साधारण चेहरा
और उस पर तोते सी नाक।
वो तुम्हारी गोल लम्बी सुराई सी गर्दन
और जिस पर एक सुन्दर रेशम का धागा
वो रेशम का धागा मैं भी ले आया था।
वो तुम्हारे पहनावे में पूरब,पश्चिम का सुंदर मिलन
जो मेरे दिल को बहुत भाया था।
जब कभी मैं तुम्हारी इन यादों के किनारे
अमृता प्रीतम को पढ़ता था
तो मेरे प्यार का फूल खिलता था।
परन्तु
नहीं थी हिम्मत इतनी भी कि पूछ सकता नाम तुम्हारा।

नोट- यह तुकबंदी ब्लोग की शुरुआत में पोस्ट की थी। तब कम ही ब्लोगर इसको पढ पाए थे। इसलिए दुबारा से पोस्ट की हैं।
और यह फोटो www.skyscrapercity.com से ली गई हैं इसलिए इनका और गूगल का शुक्रिया।

20 comments:

ताऊ रामपुरिया said...

जब कभी मैं तुम्हारी इन यादों के किनारे

अमृता प्रीतम को पढ़ता था

तो मेरे प्यार का फूल खिलता था।

परन्तु

नहीं थी हिम्मत इतनी भी कि पूछ सकता नाम तुम्हारा।

बहुत सुन्दर ! धन्यवाद !

डॉ .अनुराग said...

यूँ के हमने पहले भी इसे पढ़ा था .तो इसी बस शेड के नीचे खड़ी लड़की को देखकर हमने भी जो लिखा था वो बाँट दे....


"जब किसी शाम
तेज बारिश मे ,
किसी शेड के नीचे ,
तुम अपना दुप्पटा
सर से ढके
शरीर हवायो से
जूझती नजर आती हो
तब एक ही बात सोचता हूँ
कि
इश्क के मौसम मे......
ये बरिशे कितनी लाजिमी है"

नीरज मुसाफ़िर said...

छौक्कर साहब, नमस्कार.
लगता है शादी के बाद भी हेरा फेरी गयी नहीं है. आपने अपने प्रोफाइल में लिखा हुआ है कि "इकलौती घरवाली का गाँधी". क्यों बेचारे गाँधी को भी बदनाम कर रहे हो?

मीत said...

ये तुकबंदी हो, ख्याल, सच, जो भी है बहुत सुंदर एहसास है...
मजा आ गया...
---मीत

अजित वडनेरकर said...

होता है ....ऐसा होता है....
जो मुसाफिर जाट कह रहे हैं उसके बारे में क्या ख्याल है जी :)

vijay kumar sappatti said...

kya baat hai huzur , aap to kahin hamne bhi kuch bus stand yaad dilwa diye ..
ab ye bataye ki iska matlab kya hua..
वो रेशम का धागा मैं भी ले आया था।
.....kiski yaaaden hai sir ji ...uska naam bhi nahi jaan paayen , lekin kuch dino ke liye hi sahi ,aap ke dil men uske liye jo chahat ubhri , us chaht ko main salaam karta hoon ..

apni yaado ko banaye rakhe...

vijay

रंजू भाटिया said...

जब कभी मैं तुम्हारी इन यादों के किनारे

अमृता प्रीतम को पढ़ता था

तो मेरे प्यार का फूल खिलता था।

परन्तु

नहीं थी हिम्मत इतनी भी कि पूछ सकता नाम तुम्हारा।

वाह बहुत सुंदर ख्याल है या ..मीठा सा एहसास

प्रशांत मलिक said...

hamare yahan to ji bus stand he nahi hai gurgaon me..
to bas road pe he bus me chadte hue kisi ko dekh lo ya phir bus me latakte hue..
kafi hai..
naam poochne ka time nahi milta ...

Vinay said...

बहुत ख़ूब, कभी कोई अच्छा लग ही जाता है

---
तख़लीक़-ए-नज़र
http:/vinayprajapati.wordpress.com

राज भाटिय़ा said...

परन्तु

नहीं थी हिम्मत इतनी भी कि पूछ सकता नाम तुम्हारा।
पता नही इस कमबख्त हिम्मत को इस समय क्या हो जाता था, जो सब से लडने को तेयार बस यही आ कर मार खा जाता था,
बहुत सुंदर कविता.
धन्यवाद

राज भाटिय़ा said...

सुशील कुमार छौक्कर जी उस मे चाय या ओर कुछ नही डालना, बस नींबू ही डालना है, चीनी, शहद भी डाल सकते है.
धन्यवाद

संगीता पुरी said...

बहुत सुंदर ...अच्‍छा है दुबारा पोस्‍ट कर दिया।

vipinkizindagi said...

achcha shabd sanyojan
achchi rachna

नीरज गोस्वामी said...

आप ने मन के भाव बहुत खूबसूरती से और इमानदारी से इस रचना में पिरोये हैं...इसे दुबारा पोस्ट कर बहुत अच्छा काम किया हम जैसे जो इसे पढ़ पाए....इसे तुक बंदी मत कहिये....दिल की बात कहिये...
नीरज

Smart Indian said...

साधारण चेहरा और उस पर तोते सी नाक।
सुशील भाई, यह तारीफ़ सी तो नहीं लगती? Just kidding!
इसी बस शेड के नीचे खड़ी लड़की को देखकर हमने भी जो लिखा था वो बाँटने वाले थे मगर एक अनुराग ने पहले ही काफी कुछ बाँट दिया, सो हम अगली बार के लिए बचाकर रखते हैं.
kidding again!

राजीव तनेजा said...

अरे यार...मैँ तो कई बार बात करने के बाद भी नाम पूछने की हिम्मत ना जुटा सका।

Alpana Verma said...

जब कभी मैं तुम्हारी इन यादों के किनारे
अमृता प्रीतम को पढ़ता था
तो मेरे प्यार का फूल खिलता था।
परन्तु
नहीं थी हिम्मत इतनी भी कि पूछ सकता नाम तुम्हारा।
--wah wah Sushil ji..
ek kavita hi likh kar de di hoti us ko :)
--wah impress ho jaati aur khud hi apna naam bata deti..

--bahut hi kasak bhari hai dastan yah...
-'andaze bayan'pasand aaya..

Dev said...

First of all Wish U Very happy new Year...

Ek sahaj aur saral shabdo me bahovo ko bahut sahi abhivakt kiya hai aapne....

vandana gupta said...

HAPPY NEW YEAR
bahut sundar tarike se bhavon ki abhivyakti

Meenakshi Kandwal said...

बहुत शुक्रिया, जो आपने इस पोस्ट को फिर से पब्लिश किया... वर्ना हम तो इससे महरुम ही रह जाते।
शुभकामनाएं

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