Friday, August 1, 2008

ऐ मेरे दोस्त तेरे लिए

जिंदगी चलने का नाम हैं
यूँ ही चला चल
कोई साथ हो, ना हो, बैशक
एक आश के सहारे ही चला चल
हाथ मत फैला
कुछ जलील करेंग़े, कुछ दया करेंगे
दोनो ही सूरत में तेरे हाथों में हार होगी
हाथों के जौहर दिखा
क्या हुआ जो हाथों में छाले पड़ जाऐंगे
इन छालों से तो हाथ और मजबूत बन जाऐंग़े
तब ये ज्यादा भार उठा पाऐगे
तू मत हो उदास
किसी राह चलते चलते
वह सुबह जरुर आऐगी
जब तेरी मंजिल तुझे मिल जाऐगी
जरा हौसला तो रख
जिंदगी चलने का नाम हैं
यूँ ही चला चल

10 comments:

admin said...

सही कहते हैं आप, जिंदगी चलने का ही नाम है। इस उत्साहवर्धक सोच को मेरा सलाम।

रंजू भाटिया said...

किसी राह चलते चलते
वह सुबह जरुर आऐगी
जब तेरी मंजिल तुझे मिल जाऐगी
जरा हौसला तो रख
जिंदगी चलने का नाम हैं
यूँ ही चला चल

बहुत ही आशा वादी कविता लिखी है आपने ..यही होंसला बना रहे तो आगे बढ़ने की ताकत बनी रहती है .बहुत अच्छी लगी आपकी यह रचना

डॉ .अनुराग said...

इन हौसलों को ऐसे ही बरकरार रखना.....अच्छा लगता है....

कुश said...

हाथों के जौहर दिखा
क्या हुआ जो हाथों में छाले पड़ जाऐंगे

बहुत ही अच्छी सीख देती रचना

pallavi trivedi said...

bahut achchi soch...achchi kavita!

नीरज गोस्वामी said...

जीवन चलने का नाम...चलते रहो सुबह शाम....
नीरज

राजीव तनेजा said...

हौंसला और उत्साह बढा ढांढस बँधाती आपकी कविता अच्छी लगी

Anonymous said...

ऐसी उत्साह्पूर्ण रचना के लिये बधाई.वास्तव में जब हम सभी एक निराशा के दौर से गुज़र रहे हैं,आपकी कविता नया जोश भर देती है.

bhuvnesh sharma said...

काफी प्रेरणादायक कविता है..... शुक्रिया

Advocate Rashmi saurana said...

bhut sahi. jindgi isi ka naam hai.

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